Facebook, YouTube ने कोर्ट से कहा- सरकार आदेश करे तो Hate Speech करनेवाले पर लगा सकते हैं लगाम
Facebook, YouTube, AIMIM, Bombay High Court: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और यूट्यूब ने सोमवार को बम्बई उच्च न्यायालय से कहा कि यदि केंद्र सरकार या अदालत आदेश करे तो वे एआईएमआईएम के उस समर्थक की अपनी वेबसाइट तक पहुंच पर रोक लगा देंगे, जिस पर साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने वाली भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने का आरोप है.
Facebook, YouTube, Bombay High Court: मुंबई : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और यूट्यूब ने सोमवार को बम्बई उच्च न्यायालय से कहा कि यदि केंद्र सरकार या अदालत आदेश करे तो वे एआईएमआईएम के उस समर्थक की अपनी वेबसाइट तक पहुंच पर रोक लगा देंगे, जिस पर साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने वाली भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने का आरोप है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति माधव जामदार की एक खंडपीठ मुम्बई निवासी इमरान खान द्वारा दायर एक अर्जी पर सुनवायी कर रही थी. इस अर्जी में अबू फैजल के खिलाफ सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने वाले भाषण अपलोड करने के लिए कार्रवाई करने का पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ता के वकील ने इससे पहले कहा कि फैजल असदुद्दीन ओवैसी नीत ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का एक समर्थक है. याचिका में फैजल द्वारा अपलोड किये गए वीडियो को हटाने और सभी सोशल मीडिया वेबसाइटों तक उसकी पहुंच पर स्थायी प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है. इस साल मई में, उच्च न्यायालय ने यूट्यूब और फेसबुक को फैजल द्वारा अपलोड किये गए वीडियो को हटाने का आदेश दिया था.
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सोमवार को फेसबुक के अधिवक्ता डेरियस खंबाटा और यूट्यूब के अधिवक्ता नरेश ठाकर ने अदालत को सूचित किया कि उपयोगकर्ता (फैजल) द्वारा अपलोड किये गए वीडियो हटा दिये गए हैं. याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने अदालत को बताया कि फैजल ने अपने पहले के क्लिप डिलीट होने के बाद भी वीडियो अपलोड किये हैं.
खंबाटा ने कहा, हम (फेसबुक) इस उपयोगकर्ता (फैजल) के लिए साइट तक पहुंच पर रोक लगा सकते हैं, यदि केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक आदेश पारित करे या अदालत हमें ऐसा आदेश दे.
यूट्यूब की ओर से पेश हुए ठाकर ने कहा कि उपयोगकर्ता (फैजल) द्वारा अपलोड किये गए पहले के वीडियो के यूआरएल हटा दिये गए हैं. पीठ ने शुक्ला से यह जानना चाहा की कि क्या याचिकाकर्ता ने आईटी अधिनियम की धारा 69 (ए) के तहत सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क किया था.
मुख्य न्यायाधीश दत्त ने कहा, आईटी अधिनियम के तहत एक प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जिसके तहत यदि किसी व्यक्ति को इंटरनेट पर पोस्ट की गई किसी सामग्री से शिकायत है तो वह नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकता है. अदालत हस्तक्षेप करके आदेश क्यों पारित करे. पीठ ने याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
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