नौवें राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्याशियों ने की थी दूरदर्शन, आकाशवाणी पर प्रचार के मौके की मांग
भारत के राष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन 2022 के दस्तावेज के अनुसार, ‘आयोग और सरकार ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था तथा किसी भी उम्मीदवार को अपने विचारों को प्रसारित करने की सुविधा नहीं दी गयी थी.’
राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशियों के चयन और उनके बीच प्रतिद्वंद्विता तो लगभग हर चुनाव में देखने को मिलती है, लेकिन देश के शीर्ष पद के लिए हुए चुनाव में एक बार ऐसा भी हुआ है, जब दो प्रत्याशियों ने बाकायदा प्रचार के लिए चुनाव आयोग व सरकार से दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मौका मुहैया कराने का आग्रह किया.
अजीत पांजा से सुविधा देने का अय्यर ने किया अनुरोध
देश के नौवें राष्ट्रपति के चुनाव में आर वेंकटरमण के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे वी कृष्णा अय्यर ने तत्कालीन सूचना प्रसारण राज्यमंत्री अजीत कुमार पांजा से अनुरोध किया था कि तीनों उम्मीदवारों को आकाशवाणी/ दूरदर्शन पर अपनी बात रखने की सुविधा दी जाए. वहीं, इसी चुनाव में उम्मीदवार मिथिलेश कुमार सिन्हा ने निर्वाचन आयोग से यह आग्रह किया था.
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प्रत्याशियों के आग्रह को सरकार व आयोग ने किया अस्वीकार
भारत के राष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन 2022 के दस्तावेज के अनुसार, ‘आयोग और सरकार ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था तथा किसी भी उम्मीदवार को अपने विचारों को प्रसारित करने की सुविधा नहीं दी गयी थी.’
भारत में अप्रत्यक्ष मतदान के जरिये होता है राष्ट्रपति का चुनाव
इस बारे में पूर्व चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि भारत में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान के जरिये होता है, जिसमें संसद सदस्य और राज्य विधानसभाओं के सदस्य हिस्सा लेते हैं. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक पार्टी व्हिप से बंधे होते हैं. ऐसे में उनका मत पार्टी के रुख के आधार पर तय होता है. जैदी ने कहा कि ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने की अधिक जरूरत नहीं पड़ती है.
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव भारत से अलग
अमेरिका में चुनाव का जिक्र करते हुए पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होता है, जिसमें जनता मतदान में हिस्सा लेकर सीधे राष्ट्रपति को चुनती है. ऐसे में वहां उम्मीदवार चर्चा-परिचर्चा करते हैं और जनता तक अपनी बात एवं नीतिगत रुख को पहुंचाते हैं.
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सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रसारण की सुविधा
भारत के राष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन 2022 के दस्तावेज के अनुसार, नौवें राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्याशी मिथिलेश कुमार सिन्हा के आग्रह पर यह कहा गया कि ‘आयोग के परामर्श से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा वर्ष 1977 में तैयार की गयी एक योजना के तहत आकाशवाणी/ दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा केवल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव के दौरान मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध करायी जाती है, किंतु यह सुविधा अन्य चुनाव के लिए नहीं दी जाती.’
सरकार ने अनुरोध को किया अस्वीकार
इसमें कहा गया है कि एक अन्य उम्मीदवार वीआर कृष्णा अय्यर ने तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री अजीत कुमार पांजा से अनुरोध किया था कि तीनों उम्मीदवारों को आकाशवाणी और दूरदर्शन पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए. सरकार ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. वर्ष 1987 में हुए नौवें राष्ट्रपति चुनाव में तीन उम्मीदवार आर वेंकटरमन, वी कृष्ण अय्यर और मिथिलेश कुमार मैदान में थे.
आर वेंकटरमन बने थे देश के नौवें राष्ट्रपति
चुनाव में आर वेंकटरमन विजयी हुए थे. उन्हें 7,40,148 मत मिले थे. दूसरे स्थान पर वी कृष्णा अय्यर को 2,81,550 मत प्राप्त हुए थे, जबकि मिथिलेश कुमार को 2,223 मत मिले थे. पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एमएम अंसारी ने कहा कि आज चुनाव में अपनी बात रखने के लिए फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच उपलब्ध हैं, लेकिन राष्ट्रपति जैसे प्रतिष्ठित पद के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवारों को सरकारी प्रसारक पर समय उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि देश के लोग उनके विचारों से रू-ब-रू हो सकें. उन्होंने कहा कि राजनीतिक बाध्यताओं के कारण हालांकि ऐसा नहीं हो पाता है.
1977 में नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित हुए
दस्तावेज के अनुसार, वर्ष 1977 में हुए सातवें राष्ट्रपति चुनाव की विशेषता यह थी कि इसमें कुल मिलाकर 37 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया था. समीक्षा के दौरान चुनाव अधिकारी ने 36 प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किये गये नामांकनों को निरस्त कर दिया था. इस प्रकार वैध रूप में नाम निर्देशित उम्मीदवारों में केवल नीलम संजीव रेड्डी मैदान में रह गये. ऐसे में मतदान कराने के लिए न तो निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची तैयार करने की और न ही इन्हें प्रकाशित करने की जरूरत महसूस की गयी. यह प्रथम अवसर था, जब किसी उम्मीदवार को भारत के राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया.