सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार की आत्महत्या मामले में शिवसेना से सवाल किया है. महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने पूछा है कि आखिर पूर्व सीबीआई निदेशक की आत्महत्या पर देश में इतना सन्नाटा क्यों हैं. गौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक एवं नगालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्विनी कुमार बुधवार को शिमला स्थित अपने आवास में फंदे से लटके पाये गए थे. यह जानकारी अधिकारियों ने दी थी.
इसके बाद सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार का बृहस्पतिवार को शिमला में अंतिम संस्कार कर दिया गया. उन्होंने अपने घर में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी. उनके बेटे अभिषेक ने चिता को मुखाग्नि दी. कुमार के अंतिम संस्कार में हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुखविंदर सुखी तथा कुमार के रिश्तेदार समेत कई लोग शामिल हुए.
अश्विनी कुमार 2008 में सीबीआई के निदेशक बने थे जब एजेंसी आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच कर रही थी. कुमार ने विजय शंकर की जगह सीबीआई के निदेशक का पद संभाला था. अधिकारियों ने बताया कि कुमार बाद में नगालैंड के राज्यपाल बने थे. कुमार अभी शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे. अधिकारियों ने बताया कि अश्विनी कुमार 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. उनका करियर काफी लंबा था और विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने देश की सेवा की.
सीबीआई निदेशक के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान 2008 के आरुषि हत्याकांड समेत कई हाईप्रोफाइल मामलों की तहकीकात की गई थी. शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि बीते छह महीने के दौरान घर में रहने की वजह से कुमार की जिदंगी में अचानक से बदलाव हुए जो खुदकुशी का कारण हो सकते हैं. मगर पुलिस का कहना कि वह मामले को सभी कोणों से देख रही है.
1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार 2008 में केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक बने थे. वह प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले विशेष सुरक्षा समूह में भी सेवा दे चुके थे. 2013 में संप्रग सरकार ने उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था.
Posted By: Pawan Singh