CBI: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से सीबीआई ने की पूछताछ, जानिए क्या है पूरा मामला?
इस पूछताछ पर मीडिया को जानकारी देते हुए पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया कि उन्हें जांच एजेंसी ने बुलाया और मामले के बारे में उनकी टिप्पणियों का विवरण लिया. साथ ही उन्होंने कहा कि आगे की पूछताछ से संबंधित कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई.
CBI: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक से 2018-19 के बीच राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर में दो परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में पूछताछ की. बता दें कि मेघालय के राज्यपाल के रूप में मलिक का पांच साल का कार्यकाल 4 अक्टूबर को समाप्त होने के बाद पूछताछ की गई थी.
टिप्पणियों का विवरण लिया- पूर्व राज्यपाल
इस पूछताछ पर मीडिया को जानकारी देते हुए पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया कि उन्हें जांच एजेंसी ने बुलाया और मामले के बारे में उनकी टिप्पणियों का विवरण लिया. साथ ही उन्होंने कहा कि आगे की पूछताछ से संबंधित कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई. वहीं सीबीआई से मिली जानकारी के अनुसार, मलिक से दो दिन पहले पूछताछ की गई थी और अधिक जानकारी के लिए शनिवार को उससे फिर पूछताछ की गई.
क्या है पूरा मामला?
जांच एजेंसी ने मलिक के इस आरोप के आधार पर अप्रैल में दो प्राथमिकी दर्ज कीं कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में पद पर थे, तब उन्हें दो फाइलों को साफ करने के लिए ₹300 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई थी. मलिक ने सरकारी कर्मचारियों को सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने के संबंध में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है. उनके अनुसार, फाइलों में से एक बीजेपी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक नेता से संबंधित थी.
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‘कश्मीर में पांच कुर्ता पजामा लाया था’
बता दें कि मलिक ने 17 अक्टूबर, 2021 को राजस्थान में एक समारोह में कहा था कि “दो फाइलें मेरे विचार के लिए आई थीं. सचिवों में से एक ने मुझसे कहा कि अगर मैं इन्हें मंजूरी देता हूं, तो मुझे प्रत्येक के लिए ₹150 करोड़ मिल सकते हैं. मैंने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि मैं कश्मीर में पांच कुर्ता पजामा लाया था और बस उनके साथ वापस जाऊंगा.
सीबीआई ने क्या लगाया है आरोप?
अपनी एक प्राथमिकी में, सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के सिविल कार्य के 2,200 करोड़ रुपये के अनुबंध को एक निजी कंपनी को देने में कदाचार हुआ. साथ ही चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य पर भी जलविद्युत भ्रष्टाचार मामले में मामला दर्ज किया गया था.