जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के घर पहुंची CBI, सात महीने में दूसरी बार होगी पूछताछ!
बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय में राज्यपाल संबंधी जिम्मेदारियां निभाने के बाद पिछले साल अक्टूबर में उनका बयान दर्ज किया गया था. सीबीआई के पूछताछ के ताजा नोटिस के बाद मलिक ने हैशटैग सीबीआई के साथ ट्वीट किया था, मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं.
जम्मू-कश्मीर में कथित बीमा घोटाले के सिलसिले में सीबीआई की एक टीम ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दिल्ली आवास पर पहुंची. यह घोटाला रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से जुड़ा है. यह घोटाला मलिक के इस बयान के बाद सामने आया था कि उन्हें इससे संबंधित फाइलों को मंजूरी देने के लिए रिश्वत की पेशकश की गयी थी.
A CBI team arrives at the Delhi residence of former J&K governor Satyapal Malik, in connection with an alleged insurance scam in J&K involving Reliance General Insurance pic.twitter.com/9AYPhK8z9C
— ANI (@ANI) April 28, 2023
आरोपी या संदिग्ध नहीं हैं मलिक: वहीं, मामले को लेकर सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि जांच टीम का एक दल दल मलिक के दावों पर उनसे सवाल-जवाब करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के आरके पुरम इलाके में उनके सोम विहार आवास पर सुबह करीब 11 बजकर 45 मिनट पर पहुंचा. अधिकारियों ने बताया कि मलिक इस मामले में अभी तक आरोपी या संदिग्ध नहीं हैं. सात महीने में यह दूसरी बार है कि विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रहे मलिक से सीबीआई पूछताछ करेगी.
किसान का बेटा हूं डरूंगा नहीं: गैरतलब है कि बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय में राज्यपाल संबंधी जिम्मेदारियां निभाने के बाद पिछले साल अक्टूबर में उनका बयान दर्ज किया गया था. सीबीआई के पूछताछ के ताजा नोटिस के बाद मलिक ने हैशटैग सीबीआई के साथ ट्वीट किया था, मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं. हो सकता है, इसलिए मुझे बुलाया गया हो. मैं किसान का बेटा हूं, मैं घबराऊंगा नहीं. मैं सच के साथ खड़ा हूं.
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यह है मामला: सीबीआई ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना के ठेके देने में और जम्मू-कश्मीर में कीरू जलविद्युत परियोजना से जुड़े 2,200 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के मलिक के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की थीं. मलिक ने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.