सीबीआई को मिले और आजादी, CAG और चुनाव आयोग की तरह करे काम, मद्रास हाई कोर्ट का केंद्र को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के बाद अब मद्रास हाई कोर्ट ने भी सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा है और इसे आजाद करने की जरूरत बतायी है. इसके लिए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को 12 सूत्री निर्देश भी दिये हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2021 11:37 AM

नयी दिल्ली : मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने कहा कि पिंजरे में बंद तोते सीबीआई और अधिक आजाद किये जाने की जरूरत है. हाई कोर्ट ने केंद को निर्देश देते हुए कहा कि सीबीआई को इतनी आजादी मिलनी चाहिए कि वह चुनाव आयोग और नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की तरह काम कर सके. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई केवल संसद के प्रति उत्तरदायी हो.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सीबीआई और और अधिक स्वतंत्र बनाने की राय दी थी. सरकार किसी की भी हो विपक्षी दल हमेशा केंद्र पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहते हैं. मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि विपक्ष कहता है कि सीबीआई भाजपा नित केंद्र सरकार के हाथों में एक राजनीतिक उपकरण के रूप में है, इसे आजाद किया जाना चाहिए.

मद्रास हाई कोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता बताया था. 2013 में कोल आवंटन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी. उस समय यूपीए की सरकार थी और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सीबीआई को प्रधानमंत्री की ओर से नियंत्रित ‘साजिश ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ कहा था. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उस समय सीबीआई पर कई आरोप लगाये थे.

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मद्रास हाई कोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता बताया था. 2013 में कोल आवंटन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी. उस समय यूपीए की सरकार थी और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सीबीआई को प्रधानमंत्री की ओर से नियंत्रित ‘साजिश ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ कहा था. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उस समय सीबीआई पर कई आरोप लगाये थे.

गौरतलब है कि सरकार किसी भी पार्टी की रही हो विपक्ष हमेशा सीबीआई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते रहता है. विपक्ष हमेशा आरोप लगाता है कि सीबीआई केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली है. मौजूदा समय में भी सीबीआई जांच के मामले में नेताओं के ऐसे ही बयान आते हैं. सीबीआई जांच को कई अदालतों में चुनौती दी जाती है और इसके राजनीतिक इस्तेमाल की बात कही जाती है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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