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CBI के पास पिछले एक साल से 588 मामले लंबित हैं.
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देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI में 19% पद खाली है.
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संसद की स्थायी समिति भी सीबीआइ में रिक्त पदों को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी है.
देश की प्रमुख जांच एजेंसी CBI के पास पिछले एक साल से 588 मामले लंबित हैं. कार्मिक मंत्रालय के अनुसार, दिसंबर 2020 तक सीबीआइ के पास पिछले एक साल से 588 मामले लंबित थे, जबकि दिसंबर 2019 तक यह संख्या 711 थी. अगर राजनेता के खिलाफ दर्ज मामलों की बात करें, तो 2015 से अबतक 76 मामले दर्ज किये गये, जिसमें दो मामलों को अदालत खारिज कर चुकी है.
राजनेताओं के खिलाफ सबसे अधिक 20 मामले वर्ष 2015 में दर्ज किये गये. इस साल 31 जनवरी तक किसी राजनेता के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. मामलों की बढ़ती संख्या के बीच जांच एजेंसी कर्मचारियों की संख्या से जूझ रही है.
अधिकारियों के 19% पद हैं खाली: सीबीआइ में कार्यकारी रैंक के पांच हजार अधिकारी सहित कुल स्वीकृत पदों की संख्या 7,274 है, जिसमें 1,374 पद खाली है, यानी लगभग 19% पद खाली है. वर्ष 2017 में रिक्त पदों की संख्या 21% थी. रिक्त पदों की संख्या के बावजूद सीबीआइ पर जांच का दवाब पहले के मुकाबले बढ़ा है और इससे कामकाज पर असर पड़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल से सीबीआइ के पास 588 मामले लंबित है.
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संसद की स्थायी समिति यूपीएससी के जरिये नियुक्ति की कर चुकी है अनुशंसा: संसद की स्थायी समिति भी सीबीआइ में रिक्त पदों को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी है. संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश की थी कि सीबीआइ में ग्रेड ए स्तर के पद संघ लोकसेवा आयोग के जरिये भरा जाना चाहिए. समिति का कहना था कि देश, आंतरिक सुरक्षा, सीमापार आतंकवाद, साइबर अपराध और भ्रष्टाचार और अन्य मोर्चे पर चुनौती का सामना कर रहा है.
ऐसे में एजेंसी में कर्मचारियों और संसाधनों की कमी बड़ी चिंता का विषय है. समिति ने सिफारिश की थी कि एजेंसी में प्रतिनियुक्ति को आकर्षक बनाया जाये ताकि राज्य पुलिस सेवा, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी प्रतिनियुक्ति के लिए आकर्षित हों.
Posted by : Rajat Kumar