नई दिल्ली : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए. उनके साथ सेना के 11 अन्य अधिकारी भी शहीद हो गए, लेकिन बिपिन रावत के कई सपने अधूरे रह गए. इन सपनों में सबसे अहम सपना उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिला स्थित अपने पैतृक गांव सैणी में घर बनाना था. उनकी शहादत की खबर सुनकर बिपिन रावत के गुरु प्रो. हरवीर शर्मा और उनके चाचा भरत सिंह रावत पूरी तरह से स्तब्ध हैं.
सीडीएस जनरल बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल प्रखंड के कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूर पर स्थित सैणी गांव में हुआ था. इस गांव में कुल तीन मकान ही बने हैं. इन तीन मकानों में से एक घर में बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत रहते हैं. करीब 70 साल के भरत सिंह रावत को जब अपने भतीजे बिपिन रावत के निधन की खबर मिली तो वे पूरी तरह स्तब्ध हो गए. रुंधे हुए गले से बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत ने मीडिया को बताया कि उनके भतीजे अपने पैतृक गांव सैणी में घर बनाना चाहते थे. अगले साल अप्रैल महीने में वे अपने पैतृक गांव सैणी आने वाले भी थे.
आंखों से अविरल बहते आंसुओं की धार को पोंछते हुए बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उनके भतीजे अप्रैल 2018 में आखिरी बार अपने पैतृक गांव सैणी आए थे. उन्होंने इस दौरान कुलदेवता की पूजा भी की थी. उसी दिन उन्होंने कहा था कि वे अपने पैतृक जमीन पर मकान बनाना चाहते हैं और गांव की वादियों में समय बिताना चाहते हैं. उन्होंने कहा था कि वे जनवरी में रिटायर हो जाएंगे, इसके बाद गांव में मकान बनाकर उसमें रहेंगे.
उधर, बुधवार की दोपहर सीडीएस जनरल बिपिन रावत के गुरु और मेरठ कॉलेज के रक्षा अध्ययन विभाग से रिटायर्ड प्रो. हरवीर शर्मा को उनके पोते ने कुन्नूर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना की खबर दी. करीब 81 साल के प्रो. हरवीर शर्मा यह सूचना पाकर बीमार होने के बावजूद टीवी के सामने बैठ गए और उनके लिए प्रार्थना करने लगे. शहादत के बाद वे पूरी तरह व्याकुल हो गए और आंखों से आंसू छलक आए. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि बिपिन रावत एक बड़े अफसर होने के साथ ही अच्छे छात्र भी थे.
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देश के पहले सीडीएस के गुरु प्रो हरवीर शर्मा बताते हैं कि जनरल बिपिन रावत से पहली बार उनकी मुलाकात तब हुई, जब उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की. मेरठ से उनका गहरा नाता था. उन्होंने बताया कि मेरे निर्देशन में साल 2011 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की. मेरठ कॉलेज के रक्षा अध्ययन विभाग से उन्होंने मिलिट्री मीडिया स्ट्रेटेजिक स्ट्डीज और जियो स्ट्रेटजिक अप्रेजल ऑफ द कश्मीर वैली सब्जेक्ट पर शोध किया.