बिपिन रावत का अलर्ट : अफगान के बाद जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट में भी मंडरा रहा खतरा, पाक से रहना होगा सतर्क

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने यहां पहला रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान में कहा कि म्यांमार और बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों का बेजा इस्तेमाल किये जाने का खतरा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2021 8:23 AM
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नई दिल्ली : चीफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबानियों के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट में भी खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि आतंरिक निगरानी के जरिए इस खतरे से निपटा जा सकता है, लेकिन दूर और नजदीक पड़ोसी तिकड़मबाज चीन और पाकिस्तान से सतर्क रहने की जरूरत है.

जनरल रावत ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में व्याप्त खतरों से उभर रहे सुरक्षा परिदृश्य के कारण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा दबाव में आ गई है. हमें अपने करीब और दूर के पड़ोसी देशों में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटने की जरूरत है और यह हमारी तात्कालिक प्राथमिकता है.

रोहिंग्या शरणार्थियों का हो सकता है बेजा इस्तेमाल

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने यहां पहला रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान में कहा कि म्यांमार और बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों का बेजा इस्तेमाल किये जाने का खतरा है. उन्होंने कहा कि म्यांमा तथा बांग्लादेश पर चीन की प्रतिकूल कार्रवाई भी भारत के राष्ट्रीय हित में नहीं हैं, क्योंकि ये ‘भारत पर नियंत्रण’ की कोशिश हैं. सीडीएस जनरल रावत ने कहा कि क्षेत्रीय रणनीतिक अस्थिरता का सर्वव्यापी खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि इससे भारत की क्षेत्रीय अखंडता और रणनीतिक महत्व को खतरा हो सकता है.

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा

सीडीएस ने भारत-पाक संबंधों पर कहा कि पाकिस्तान की इमरान सरकार की ओर से प्रायोजित आतंकवाद तथा सरकार से इतर तत्वों की आतंकवादी गतिविधियां दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा हैं. उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान तथा चीन के बीच साझेदारी को ‘भारत विरोधी सांठगांठ’ कहा, जिसमें चीन द्वारा पाकिस्तान को सैन्य उपकरण प्रदान करना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका समर्थन करना शामिल है.

सुलझाया जा रहा है चीन के साथ सीमा विवाद

सीडीएस ने सम्मेलन से इतर कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद को समग्रता से देखना होगा और यह लद्दाख सेक्टर या नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों से जुड़े विषय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि 2020 में थोड़ी दिक्कत (भारत और चीन के बीच) थी. सेना से लेकर राजनीतिक स्तर तक विभिन्न स्तरों पर बातचीत के साथ मुद्दों को सुलझाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले भी दोनों पड़ोसियों के बीच ऐसे मुद्दे उठ चुके हैं, लेकिन सुलझा लिये गए हैं.

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पड़ोसियों की मदद से चीन को कर देंगे पस्त

जनरल रावत ने कहा कि भारत-चीन के बीच असमंजस की स्थिति बनी है. इसीलिए सीमा विवाद के समाधान में समय लग रहा है. लोगों को प्रणाली और सशस्त्र बलों में भरोसा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत ने पड़ोसी देशों के साथ सहभागिता बढ़ा दी है.

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