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पूरी तरह स्वदेशी होंगे भारत के हथियार और रक्षा उपकरण- सीडीएस जनरल बिपिन रावत

जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आने वाले वर्षों में हम देखेंगे कि हमारा रक्षा उद्योग काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

नयी दिल्ली: भारत के पूर्व थलसेनाध्यक्ष और मौजूदा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है. जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आने वाले वर्षों में हम देखेंगे कि हमारा रक्षा उद्योग काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा तैयारियों में संपूर्ण योगदान दे रहा है. हमें अत्याधुनिक हथियार और उपकरण मुहैया करवा रहा है.

रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में जनरल बिपिन रावत का ये बयान काफी अहम है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का बयान ये संकेत देता है कि रक्षा क्षेत्र में भारत की विदेशों पर निर्भरता घटने वाली है.

रक्षा उपकरणों के मामले में काफी है निर्भरता

बता दें कि इस वक्त रक्षा हथियार और उपकरणों के लिए भारत की काफी निर्भरता विदेशों में है. हाल ही में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे. अमेरिका से अपाचे और चिनुक हेलिकॉप्टर खरीदे गए. इस्त्राइल से एंटी रडार सिस्टम खरीदा है. रूस से हाल ही में भारत ने 400-एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदा है.

रूस के साथ सात लाख से ज्यादा एके-47 203 असॉल्ट राइफल खरीदने की डील हुई है. जाहिर है कि अब तक रक्षा उपकरणों और हथियार को लेकर भारत इन देशों पर निर्भर है लेकिन बीते कुछ समय से भारत ने दिखाया है कि वो रक्षा क्षेत्र में हथियार और उपकरणों के विषय में आत्मनिर्भर बनने जा रहा है और मेक इन इंडिया पर फोकस है.

डीआरडीओ ने लांच किया कई स्वदेशी हथियार

22 सितंबर को भारत के रक्षा अनुंसधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने हाई स्पीड ड्रोन ‘अभ्यास’ का सफल परीक्षण किया. ये ड्रोन अपने साथ हथियार ले जा सकता है. दुश्मनों को ठिकाने भी लगा सकता है. बीते 7 सितंबर को डीआरडीओ ने हाईपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया. इसका इस्तेमाल हाईपर सोनिक और क्रूज मिसाइलों को लांच करने में किया जाएगा.

तीन हफ्ते पहले विशाखापत्तनम में स्वदेशी आईएनएस कवरत्ती को नौसेना में शामिल किया गया. ये युद्धपोत 90 फीसदी मेड इन इंडिया है. ये एंटी सबमरीन युद्धपोत है और रडार की पकड़ में नहीं आता. प्रोजेक्ट 28 के तहत ऐसे 4 युद्धपोत बनाए गए हैं. इससे पहले आईएनएस कमोर्ता, आईएनएस कदमत और आईएनएस किलतान सौंपे जा चुके हैं.

डीआरडीओ ने शुक्रवार को ओड़िशा तट के पास व्हीलर द्वीप से रेडिएशन टारगेट पर नई पीढ़ी की एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम का परीक्षण किया. ये स्वदेशी रक्षा निर्माण की दिशा में बड़ी उपलब्धि है. इसे मिसाइल को सुखोई एमकेआई से लांच किया गया

ड्रोन से लेकर मिसाइल तक का सफल परीक्षण

10 अक्टूबर को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने स्वदेशी प्रोटोटाइप ड्रोन रूस्तम-2 का सफल परीक्षण किया. कर्नाटक के चित्रदुर्ग में रुस्तम-2 ने 16 हजार फीट की उंचाई हासिल की औऱ कुल 8 घंटे तक उड़ान भरी. 2020 के अंत तक ये ड्रोन 26000 फीट की ऊंचाई हासिल करेगा. 18 घंटे तक उड़ान भर सकेगा. युद्ध में दुश्मन की पॉजिशन का पता लगाने औऱ उनकी निगरानी करने में रुस्तम अहम भूमिका निभाएगा.

06 अक्टूबर को रक्षा अनुंसधान और विकास संगठन ने ओड़िशा के व्हीलर द्वीप से सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो यानी (स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया. ये एक ऐसी प्रणाली है जिसमें टॉरपीडो के साथ मिसाइल भी होती है.

पनडुब्बी रोधी जंग में ये तकनीक नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ा देती है. ये सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है. इसमें कम वजन का टॉरपीडो भी लगा होता है. दोनों मिलकर इसे सुपरसोनिक एंटी-सबमरीन मिसाइल बना देते हैं. ये दुश्मन देश की पनडुब्बी को ध्वस्त कर सकता है.

रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर होना ही होगा

जाहिर है कि बीते कुछ समय में जिस स्पीड से भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने स्वदेशी हथियार और रक्षा उपकरणों का सफल परीक्षण किया है, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का बयान उस संदर्भ में है. चीन और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव और इसकी गंभीरता के मद्देनजर भारत को हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर होना भी चाहिए.

Posted By- Suraj Thakur

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