Loading election data...

समलैंगिक विवाह पर केंद्र ने SC से कहा, प्रशासनिक उपाय तलाशने के लिए समिति बनाएगी सरकार

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इसमें जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2023 1:56 PM

नई दिल्ली : समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. यह समिति समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे को छुए बिना ऐसे जोड़ों की कुछ चिंताओं को दूर करने के प्रशासनिक उपाय तलाशेगी. केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि सरकार इस संबंध में प्रशासनिक उपाय तलाशने को लेकर सकारात्मक है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इसमें जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

मंत्रालयों के बीच समन्वय की जरूरत

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि प्रशासनिक उपाय तलाशने के लिए एक से ज्यादा मंत्रालयों के बीच समन्वय की जरूरत पड़ेगी. मामले में सातवें दिन की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे पर अपने सुझाव दे सकते हैं कि समलैंगिक जोड़ों की कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए क्या प्रशासनिक उपाय किए जा सकते हैं.

Also Read: समलैंगिक विवाह केस पर आया कंगना रनौत का रिएक्शन, बोलीं- ‘…पसंद को बिस्तर तक रखें, हर जगह…’

कल्याणकारी योजनाओं का दिया जा सकता है लाभ?

सर्वोच्च अदालत ने 27 अप्रैल को मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा था कि क्या समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता दिए बिना ऐसे जोड़ों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है. अदालत ने यह कहते हुए यह सवाल किया था कि केंद्र द्वारा समलैंगिक यौन साझेदारों के सहवास के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार करने से उस पर इसके सामाजिक परिणामों को पहचानने का ‘संबंधित दायित्व’ बनता है.

Next Article

Exit mobile version