दिल्ली में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक होने वाली है. ऐसी खबर है कि कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये जायेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. कैबिनेट की बैठक से पहले दिल्ली में बीजेपी की दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने पर फैसला लिया गया.
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की बड़ी तैयारी, नड्डा बने रहेंगे अध्यक्ष
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कमर कस ली है. दिल्ली में बीजेपी की दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. जिसमें कई बड़े निर्णय लिये गये. बड़ी घोषणाओं में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को लोकसभा चुनाव 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. भाजपा नेताओं ने सर्वसम्मति से उनके कार्यकाल को जून 2024 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नड्डा के कार्यकाल को विस्तार दिए जाने की घोषणा की.
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं का बढ़ाया उत्साह
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 400 दिन बचे हैं और इसलिए पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरे समर्पण के साथ समाज के हर वर्ग की सेवा करने में जुट जाना है. प्रधानमंत्री ने सूफीवाद के बारे में बहुत कुछ कहा. उन्होंने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से कहा कि वे विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों से मिलें और उनसे जुड़ने के लिए विश्वविद्यालयों और चर्च जैसी जगहों का दौरा करें.
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जीवन का सर्वोत्त समय आने वाला है : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के जीवन का सर्वोत्तम समय आने वाला है, इसलिए ऐसे समय में देश के विकास में योगदान देने के लिए सभी को कड़ी मेहनत करनी चाहिए. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं से यह आह्वान भी किया कि वे अमृत काल को कर्तव्य काल में परिवर्तित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दें, तभी देश को तेजी से आगे ले जाया जा सकता है.
पीएम मोदी ने पार्टी को अति आत्मविश्वास से बचने की दी सलाह
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पार्टी को अति आत्मविश्वास की भावना के प्रति भी आगाह किया और 1998 में मध्य प्रदेश में भाजपा की हार का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार की अलोकप्रियता के बावजूद भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. मोदी उन दिनों में मध्य प्रदेश में भाजपा के संगठनात्मक मामलों का काम देखते थे.