केंद्र सरकार की वैक्सीन रणनीति पर खड़े हो रहे सवालों का सरकार ने कोर्ट में जवाब दिया है. सरकार ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि उसकी रणनीति में कोई कमी नहीं है. सरकार ने कहा, वैक्सीन को लेकर बनायी गयी रणनीति भेदभाव रहित है. इसमें ‘‘अत्यधिक”न्यायिक हस्तक्षेप के अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से दायर किये गये शपथपत्र में वैक्सीन नीति को लेकर जवाब दिये गये हैं. केंद्र सरकार ने कहा है कि एक बार में सभी का वैक्सीनेशन संभव नहीं है केंद्र सरकार ने कहा कि टीकाकरण नीति अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के जनादेश के अनुरूप है और इसे विशेषज्ञों के साथ कई दौर की वार्ता और विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है.
केंद्र ने शपथपत्र में कहा, यह काम राज्य और केंद्र सरकारों का है. शीर्ष अदालत को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार ने 200 पन्नों का शपथपत्र दायर किया है. कोर्ट से सरकार ने कहा है विशेषज्ञों की सलाह या प्रशासनिक अनुभव के अभाव में अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप के अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं, भले ही यह हस्तक्षेप नेकनीयत से किया गया हो.
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वैक्सीन की खरीद को लेकर सरकार ने कहा है कि इससे आम नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि राज्य सरकारों ने पहले ही सभी घोषणा कर दी है कि हर राज्य अपने निवासियों का नि:शुल्क टीकाकरण करेंगे. शपथपत्र में सरकार ने उत्पादन और आयात बढ़ाकर रेमडेसिविर की उपलब्धता बढ़ाने के हर प्रयास कर रहा है.