केंद्र सरकार ने द्रौपदी मुर्मू को जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई, रायरंगपुर के शिव मंदिर में कीं साफ-सफाई
भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने मंगलवार की देर शाम को झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया है.
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए घोषित की गईं प्रत्याशी और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया है. भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मंगलवार की देर शाम को झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को देश के अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने मामले से जुड़े अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई है. अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के साथ आज से ही सशस्त्र केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों द्वारा चौबीसों घंटे तैनात रहेंगे. बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है और 29 जून तक नामांकन प्रक्रिया जारी रहेगी. विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया गया है.
Centre provides round-the-clock Z+ category security cover by armed Central Reserve Police Force (CRPF) personnel to NDA presidential candidate Draupadi Murmu from today: Officials
(File photo) pic.twitter.com/FYDWJ0ficX
— ANI (@ANI) June 22, 2022
जेपी नड्डा ने की द्रौपदी मुर्मू के उम्मीदवारी की घोषणा
बता दें कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने मंगलवार की देर शाम को झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया है. मंगलवार की देर शाम को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की. पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने दलित नेता रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार एक आदिवासी नेता को इस पद के लिए उम्मीदवार बनाकर समाज में एक संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि, पिछली बार के राष्ट्रपति चुनाव समय भी इस पद के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम पर चर्चा की गई थी.
ओडिशा के रायरंगपुर के शिव मंदिर की साफ-सफाई कीं
एनडीए की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार की सुबह ओडिशा के रायरंगपुर स्थित शिव मंदिर में झाड़ू लगाकर साफ-सफाई कीं. झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने रायरंगपुर के जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी और एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं को आभार जताया.
#WATCH | Odisha: NDA's presidential candidate Draupadi Murmu sweeps the floor at Shiv temple in Rairangpur before offering prayers here. pic.twitter.com/HMc9FsVFa7
— ANI (@ANI) June 22, 2022
देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी द्रौपदी मुर्मू
इस चुनाव में यदि द्रौपदी मुर्मू की जीत होती है, तो वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. 64 वर्षीय मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. वह झारखंड की पहली राज्यपाल थीं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.
यशवंत सिन्हा विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा गया है. विपक्षी उम्मीदवार के रूप में सिन्हा के नाम की घोषणा के बाद अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए 18 जुलाई को मतदान होना अब तय माना जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया जारी है. 29 जून नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है.
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द्रौपदी मुर्मू की जीत तय
गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के आधार पर भाजपा नीत एनडीए मजबूत स्थिति में है और उसे यदि बीजद या आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिल जाता है, तो उसकी जीत निश्चित हो जाएगी. एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. ऐसे में यह माना जा रहा है कि बीजद उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेगा. वह ओडिशा में भाजपा और बीजद गठबंधन की सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं. पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भी बीजद ने राजग उम्मीदवार कोविंद का समर्थन किया था. मुर्मू की उम्मीदवारी का विरोध करना झारखंड की सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि उसका मुख्य आधार आदिवासियों के बीच ही है.