खालिस्तानी समर्थकों पर केन्द्र सरकार सख्त, NIA को दिया उच्चायोग पर हमले की जांच का जिम्मा
एनआईए कनाडा और अमेरिका में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी तत्वों के हमलों की जांच करेगी. मार्च 2023 में कनाडा और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुए हमले को लेकर दिल्ली पुलिस की सेपेशल सेल ने यूएपीए के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. फिलगाल मामला एनआईए को दे देया गया है.
बीते दिनों अमेरिका और कनाडा में भारतीय उच्चायोग पर हुए हमले की जांच को लेकर भारत सरकार एक्शन में आ गई है. इसी कड़ी में दोनों उच्चायोग में हुए हमले की जांच का जिम्मा सरकार अब नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को दे रही है. गौरतलब है कि खालिस्तान की मांग को लेकर इसके लंबे समय से इसके समर्थक आंदोलन कर रहे हैं. इसी कड़ी में इसके समर्थकों विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास को निशाना बनाया था. जिसके बाद भारत सरकार ने हमले की जांच का जिम्मा एएनआई को सौंप देने का फैसला किया है.
बता दें, इसी साल मार्च महीने में कनाडा और अमेरिका स्थित इंडियन हाई कमीशन पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला कर दिया था. घटना को लेकर भारत में केस भी दर्ज हुआ है. दिल्ली की स्पेशल पुलिस ने मामला दर्ज किया था. इसके बाद केस को नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दिये गए थे. इस मामले में दो अलग-अलग केस दर्ज हुई हैं.
NIA to investigate the Khalistani elements' attacks on Indian High Commission in Canada and the US. FIRs were registered under UAPA by Delhi Police Special Cell regarding the March 2023 attack in Canada & San Francisco (US). The case has been transferred to NIA: Delhi Police…
— ANI (@ANI) June 17, 2023
NIA ने प्रदर्शन करने वालों की पहचान के लिये मांगी मदद
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की जांच के संबंध में बीते दिनों पांच वीडियो जारी किया था. साथ ही एनआईए ने हिंसक प्रदर्शनों में शामिल लोगों की पहचान के लिए आम आदमी से मदद की अपील की थी. सीसीटीवी से लगभग दो घंटे के फुटेज को एनआईए ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया और लिंक को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा भी किया है.
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क्या है पूरा मामला
दरअसल खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने लंदन में इसी साल के 19 मार्च को भारतीय उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की और तिरंगा उतारने का प्रयास किया था. घटना के बाद गृह मंत्रालय ने मामले को एनआईए को सौंप दिया था. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से इस साल अप्रैल में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी, जिसके बाद केस को एनआईए को सौंपने का फैसला किया गया.
भाषा इनपुट के साथ