नई दिल्ली/मुंबई : अभी हाल ही में महाराष्ट्र भेजे गए केंद्रीय स्वास्थ्य दल ने मोदी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य दल ने अपनी रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर सवाल खड़े किए हैं. दल की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट की जानकारी महाराष्ट्र सरकार को भी दी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य दल ने कोरोना की रोकथाम के लिए राज्य सरकार की ओर से संतोषजनक कदम उठाने में कमी पाई है. दल को निगरानी के उपायों में कमी भी देखने को मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र के सतारा, सांगली और औरंगाबाद जिले में कोरोना की रोकथाम के लिए किए गए उपाय तय मानकों से काफी कम हैं.
महाराष्ट्र के प्रधान स्वास्थ्य सचिव प्रदीप व्यास को भेजी गइ्र रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टास्क फोर्स की कमी की वजह से बुलढाना, सतारा, औरंगाबाद और नांदेड़ में संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने और निगरानी करने में भी कोताही बरती गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय महामारी से निपटने की तैयारी और उपायों को लेकर राज्यों के साथ लगातार तालमेल स्थापित कर रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र के 30 जिलों के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य दल भेजे हैं. यह दल कोरोना के प्रसार के कारणों को समझने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. दल को जांच, संक्रमितों का पता लगाने और रोकथाम उपायों पर ध्यान देते हुए जिला प्रशासन के साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सतारा, बुलढाना, पालघर, अमरावती, जालना और लातूर जिलों में जांच क्षमता बढ़ाए जाने के बावजूद रिपोर्ट मिलने में काफी देर हो रही है. नांदेड़ और बुलढाना में आरटी-पीसीआर/आरएटी जांच में फर्क पाया गया है. वहीं, भंडारा जिले में कोरोना जांच को लेकर लोगों के विरोध की भी जानकारी मिली है. भंडारा और सतारा जिले में कोरोना के ज्यादातर मरीज आइसोलेशन में हैं, जिन पर नजर बनाए रखने की जरूरत है. फिलहाल इसमें भी कोताही बरती जा रही है.
केंद्रीय दल की इस रिपोर्ट में मरीजों के इलाज में देर से अस्पताल में भर्ती मरीजों की मौत की भी बात कही गई है. इलाज में देर होने से राज्य में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अहमदनगर, औरंगाबाद, नागपुर और नंदूरबार जिले के अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की भी बात की गई है. अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या से कहीं अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है. गंभीर मरीजों को पड़ोसी जिलों के अस्पतालों में भेजा जा रहा है.
Posted by : Vishwat Sen