Chabahar rail project,Iran: भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है और ऐसे वक्त में ईरान ने भारत को तगड़ा झटका दिया है. ईरान ने चाबहार रेल प्रोजेक्ट से भारत को अलग कर दिया है. ईरान ने इसकी वजह भारत की ओर से फंड मिलने में देरी को बताया है. ईरान ने ये कदम ऐसे समय उठाया है जब चीन के साथ चार सौ अरब डॉलर के रणनीतिक निवेश को लेकर समझौता हुआ है. इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है.
ईरान के इस फैसले को भारत के लिए बड़े कूटनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. इस परियोजना से भारत के बाहर होने के बाद चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है क्योंकि दोनों सीपैक परियोजना (चीन-पाक आर्थिक गलियारा ) पर काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि ईरान के इस फैसले में चीन की बड़ी भूमिका हो सकती है. बता दें कि चीन के सीपैक के जवाब में ही भारत ने ईरान के साथ चाबहार रेल परियोजना के लिए समझौता किया था.
ईरान और भारत के बीच चार साल पहले चाबहार से अफगानिस्तान सीमा पर जाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था. खबरों के मुताबिक, इस परियोजना को पूरा करने के लिए भारत के इंजिनियर ईरान गए भी थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया. अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे रखी है लेकिन उपकरणों के सप्लायर नहीं मिल रहे हैं. यह परियजोना भारत के अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराने के लिए बनाई जानी थी जिसका आने वाले दिनों में भारत को बहुत बड़ा फायदा होने वाला था. लेकिन अब ईरान के फैसले से भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अब ईरान ने अपने आप ही इस परियोजना को पूरा करने का फ़ैसला लिया है और इस पर काम शुरू कर दिया है. टाइम्स नाऊ के मुताबिक, ईरान का कहना है कि भारत की ओर से फंड मिलने में देरी हुई है जिसकी वजह से वह स्वयं काम शुरू कर रहा है. 628 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग को बिछाने का काम बीते सप्ताह शुरू हो गया है.
ईरान के यातायात और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने इसका उद्घाटन किया है. ये रेल लाइन बॉर्डर पार करके अफगानिस्तान के जारांज तक जाने वाली है. ईरानी अधिकारियों के मुताबिक, ये पूरा प्रोजेक्ट मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके लिए अब ईरान के नेशनल डेवलपमेंट फंड का इस्तेमाल किया जाएगा.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा कि भारत को चाबहार पोर्ट डील से हटा दिय गया. यह मोदी सरकार की कूटनीति है, जिसने काम नहीं होने पर भी वाहवाही लूटी. लेकिन चीन ने चुपचाप काम किया और उन्हें बेहतर डील दिया. भारत के लिए बड़ा नुकसान. लेकिन आप सवाल नहीं पूछ सकते!.
चार साल पहले जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया था तब इस रेल परियोजना को लेकर समझौता हुआ था. भारत की ओर से इंडियन रेलवेज कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (इरकॉन) को इस रेल ट्रेक के निर्माण में शामिल होना था. ये भारत-अफगानिस्तान और ईरान के बीच हुआ समझौता था. इस पूरी परियोजना में 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था. इस परियोजना के तहत भारत को सिर्फ बंदगाह ही नहीं, इससे सटे इलाके में अन्य औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित करनी थी.
Posted By: Utpal kant