Chandigarh: छेड़छाड़ की शिकार छात्रा ने छोड़ दी यूनिवर्सिटी, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

Chandigarh: हाईकोर्ट ने जब सवाल किया कि छात्रा किस वर्ष में थी तो यूनिवर्सिटी ने जानकारी दी कि वह प्रथम वर्ष की छात्रा थी और उसे फीस रिफंड किया जा चुका है. आगे कोर्ट की ओर से कहा गया कि केवल फीस रिफंड करना काफी नहीं है.

By Amitabh Kumar | September 22, 2022 7:54 AM

Chandigarh: चंडीगढ़ इन दिनों काफी चर्चा में है. इस बार खबर पंडित लखमीचंद यूनिवर्सिटी से आयी है जहां टूर के दौरान छात्रा से छेड़छाड़ होने और इसके बाद उसके यूनिवर्सिटी छोड़ने के मामले का मामला सामने आया. इसपर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है और छात्रा को मुआवजा देने को लेकर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिकाकर्ता ने क्या कहा

बताया जा रहा है कि गुरुग्राम निवासी सतबीर सिंह ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और उसे बर्खास्त करने के 15 जून 2022 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का काम किया था. याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे बिना नियमित जांच के बर्खास्त करने का फैसला लिया गया है. याचिका का विरोध रोहतक की पंडित लखमी चंद यूनिवर्सिटी ने किया और कोर्ट को बताया कि एक टूर के दौरान याची ने एक छात्रा से छेड़छाड़ की. वह उस टूर का कोऑर्डिनेटर था और टूर से लौट कर छात्रा ने यूनिवर्सिटी छोड़ने का फैसला लिया.

हाईकोर्ट ने क्या कहा

हाईकोर्ट ने जब सवाल किया कि छात्रा किस वर्ष में थी तो यूनिवर्सिटी ने जानकारी दी कि वह प्रथम वर्ष की छात्रा थी और उसे फीस रिफंड किया जा चुका है. हाईकोर्ट ने कहा कि छात्रा से जब छेड़छाड़ की घटना हुई तो वह यूनिवर्सिटी के टूर पर थी. छात्राओं की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी की होती है. यूनिवर्सिटी उनकी सुरक्षा से मुंह नहीं मोड़ सकती. टूर के बाद छात्रा ने यूनिवर्सिटी छोड़ दी ऐसे में उसे पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.

केवल फीस रिफंड करना काफी नहीं

आगे कोर्ट की ओर से कहा गया कि केवल फीस रिफंड करना काफी नहीं है. इसके बाद मुआवजे की राशि को लेकर हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं याची की ओर से कहा गया है कि अभी ट्रायल लंबित है और उसे दोषी करार नहीं दिया गया है. ऐसे में बर्खास्तगी का आदेश उचित नहीं है और इस पर रोक लगाने पर निर्णय लिया जाना चाहिए.

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि याची पर गंभीर आरोप लगे हैं. ऐसी कोई वजह फिलहाल मौजूद नहीं है जिसके चलते आदेश पर रोक लगायी जाए.

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