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Chandrayaan-3: 50 वैज्ञानिकों की रात आंख में कटी सफल लैंडिंग के साथ पूरी हुई मन्नत

शिव नादर इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस, दिल्ली-एनसीआर में प्रोफेसर और ओम्निप्रेजेंट रोबोट टेक के सीइओ आकाश सिन्हा ने इसरो की कामयाबी को ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में सराहा, जो नयी पीढ़ी के भावी वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगी.

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने मंगलवार की पूरी रात आंख में काटी. कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की पड़ताल में वे रातभर जुटे रहे. वे लैंडर को लगातार इनपुट भेज रहे थे, ताकि सॉफ्ट लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की कोई भी गुंजाइश न रहे. अंतत: वैज्ञानिकों का प्रयास रंग लाया और चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने उनकी बरसों की मन्नत पूरी कर दी.

चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे इसरो के कई इंजीनियर और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत

चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे इसरो के कई इंजीनियर और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है, जिन्होंने चार साल कड़ी मेहनत करके इस मिशन को सफल बनाया. भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, बेंगलुरु के वैज्ञानिक डॉ क्रिसफिन कार्तिक ने कहा, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग अंतरिक्ष यात्रा की दिशा में हमारी सामूहिक प्रगति का प्रमाण है. यह विविधता में एकता की सुंदरता को दर्शाता है क्योंकि हम एक साथ ब्रह्मांड में यात्रा करते हैं. कार्तिक ने कहा, धीमे ही सही, लक्ष्य तक पहुंचना यह कहने से बेहतर है कि हमने दौड़ जीत ली. मैं इस पर जोर देता हूं क्योंकि कई लोग इसकी तुलना हमारे मित्र राष्ट्र के कार्यक्रमों से कर रहे हैं.

चंद्र अनुसंधान में दुनिया में अग्रणी बन जायेगा भारत

शिव नादर इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस, दिल्ली-एनसीआर में प्रोफेसर और ओम्निप्रेजेंट रोबोट टेक के सीइओ आकाश सिन्हा ने इसरो की कामयाबी को ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में सराहा, जो नयी पीढ़ी के भावी वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगी. चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने में शामिल रहे सिन्हा ने बताया, इस शानदार उपलब्धि के साथ, भारत ने चांद के दक्षिणी घ्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है. सिन्हा ने कहा, इसरो का चंद्रयान मिशन, जो चंद्रमा पर पानी की खोज में अग्रणी था, नये मानक स्थापित करता रहा है. भौतिक विज्ञान केंद्र, कोलकाता के निदेशक संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा से भविष्य की गतिविधियों के लिए एक शुरुआत है. यह बाहरी दुनिया का प्रवेश द्वार है.

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जमशेदपुर में बनी टाटा स्टील के क्रेन से रॉकेट की असेंबलिंग, तो गोदरेज एयरोस्पेस ने बनाया सेटेलाइट थ्रस्टर्स

इसरो के मून मिशन की सफलता में टाटा स्टील, गोदरेज एयरोस्पेस, एलएंडटी, बीएचइएल समेत देश की कई कंपनियों का बड़ा योगदान रहा. रॉकेट इंजन और थ्रस्टर से लेकर अन्य कंपोनेंट्स का निर्माण इन कंपनियों द्वारा किया गया. टाटा स्टील द्वारा तैयार की गयी क्रेन ने आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च वाहन एलवीएम3एम4 (फैट ब्वॉय) को असेंबल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. टाटा स्टील ने इस क्रेन का निर्माण जमशेदपुर स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में किया गया था. गोदरेज इंडस्ट्रीज की स्पेस सेक्टर में कार्यरत कंपनी गोदरेज एयरोस्पेस ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए यान विकास इंजन, सीइ20 और सेटेलाइट थ्रस्टर्स को गोदरेज एयरोस्पेस की मुंबई स्थित बिखरोली फैसिलिटी में तैयार किया. मिशन के कोर स्टेज के लिए एल110 इंजन को भी गोदरेज कंपनी द्वारा ही बनाया गया है.

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