नयी दिल्ली: दो बार चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण करने के बाद भारत अब तीसरी बार चंद्रयान को चांद पर भेजने की तैयारियों में जुटा है. वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में चंद्रयान-3 (Mission Chandrayaan-3) का प्रक्षेपण किया जा सकता है. सरकार ने कहा है कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के प्रक्षेपण से पहले सभी निर्धारित परीक्षण कर लिये जायेंगे.
राज्यसभा (Rajya Sabha) में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के बारे में जानकारी दी. एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 2022-23 की दूसरी तिमाही में होने की संभावना है.
जितेंद्र सिंह ने उच्च सदन को बताया कि चंद्रयान-3 मिशन अग्रिम चरण में है. नोडन मॉड्यूल और रोवर मॉड्यूल (Rover Module) दोनों की सभी प्रणालियों को एकीकृत किया गया है. उनका परीक्षण हुआ है. लैंडर मॉड्यूल (Lander Module) की अधिकांश प्रणालियों को साकार किया गया है और उनके परीक्षण प्रगति पर हैं.
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भारत का पहला चंद्रयान मिशन रहा था सफल
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चंद्रयान-2 में रोवर की नहीं हो पायी सॉफ्ट लैंडिंग
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चांद पर पानी की खोज के लिए भेजा था मिशन
इसके पहले भारत ने चंद्रयान और चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का प्रक्षेपण किया था. मिशन चंद्रयान-3 की लागत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने 250 करोड़ रुपये बतायी थी. उन्होंने कहा था कि चंद्रयान-2 की तरह चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर भी होगा.
इसरो (ISRO) ने सितंबर, 2019 में चंद्रयान-2 मिशन की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज करना था. अपनी तरह का यह दुनिया का पहला मिशन था. हालांकि, चंद्रयान-2 के रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पायी थी. हालांकि, ऑर्बिटर अंतरिक्ष में स्थापित हो गया था.
भारत ने वर्ष 2008 में पहले चंद्रयान को लांच किया था. तब इसरो ने उम्मीद जतायी थी कि चांद पर पानी मौजूद है. अमेरिका, रूस और चीन के अलावा भारत ही एकमात्र देश है, जिसने चांद पर अपना मिशन भेजने में सफलता हासिल की.
भारत का अंतरिक्ष अनुसधान केंद्र इसरो अपने सस्ते उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष मिशनों के लिए जाना जाता है. वर्ष 2014 में भारत ने मंगल पर मानव रहित मिशन भेजा था, जिसका बजट हॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ग्रेविटी’ के बजट से भी कम था. मंगल मिशन पर भारत ने 447.39 करोड़ रुपये खर्च किये थे.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि चीन (China) का ‘चांगए-4’ चंद्रमा की ऐसी सतह पर उतरा था, जिसे देखा नहीं जा सकता. वहीं, इस्राइल (Israel) के बेरेशीट अंतरिक्ष यान ने अप्रैल 2019 में चांद पर उतरने की कोशिश की थी.
Posted By: Mithilesh Jha