चंद्रयान-3 की सफलता के बाद 26 अगस्त को बेंगलुरु में इसरो के वैज्ञानिकों से मिलेंगे प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की टीम को बधाई देने के लिए शनिवार सुबह बेंगलुरु आएंगे.

By Aditya kumar | August 25, 2023 9:37 PM
an image

PM Modi To Meet ISRO Scientists : भारत का मिशन मून चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता के साथ उतर चुका है. ऐसे में इसरो ने जब इस कामयाबी को दुनिया के साथ देखा. उस वक्त भी पीएम मोदी ने इसरो चीफ को सफलता के लिए बधाई दी थी. अब खबर यह सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की टीम को बधाई देने के लिए शनिवार सुबह बेंगलुरु आएंगे.

ISTRAC में एक घंटा रुकेंगे और इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात करेंगे

पीएम मोदी इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक घंटा रुकेंगे और इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात करेंगे. चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम को जब चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा, उस समय मोदी जोहानिसबर्ग में थे और वह आईएसटीआरएसी में मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) में इसरो टीम के साथ डिजिटल तरीके से जुड़े थे. मोदी जोहानिसबर्ग में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे थे.

HAL और ISTRAC के नजदीक स्थित जलाहल्ली क्रॉस पर मोदी का स्वागत

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सूत्रों के अनुसार पार्टी नेता और कार्यकर्ता दो स्थानों – हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) हवाई अड्डे के बाहर और आईएसटीआरएसी के नजदीक स्थित जलाहल्ली क्रॉस पर मोदी का स्वागत करेंगे. मोदी चंद्रयान-2 मिशन के ‘विक्रम’ लैंडर की योजनाबद्ध ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ देखने के लिए छह सितंबर, 2019 की रात भी बेंगलुरु आए थे. हालांकि सात सितंबर की सुबह, चंद्रमा की सतह पर उतरने से बमुश्किल कुछ मिनट पहले, चंद्रमा की सतह से सिर्फ 2.1 किलोमीटर ऊपर, इसरो का यान से संपर्क टूट गया था.

‘मानव को अंतरिक्ष में भेजना इसरो का अगला लक्ष्य’

काम के प्रति अपने प्रेम के कारण एक रॉकेट वैज्ञानिक दो वर्ष से अधिक समय से मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में स्थित अपने घर नहीं गए हैं. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक निंगथौजम रघु सिंह हैं जो चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने का दायित्व निभाने वाले लोगों में से एक हैं. सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”मुझे घर की याद आती है, लेकिन अपने काम की प्रकृति के कारण मैं लगभग दो वर्ष से वहां नहीं गया हूं.” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह अगली बार घर कब जाएंगे.

Also Read: Explainer: चांद पर पहुंचना क्यों है इतना मुश्किल, आधे से ज्यादा मिशन कैसे हो जाते हैं फेल?
व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी प्रौद्योगिकी को धन्यवाद

निंगथौजम रघु सिंह ने कहा, “लेकिन, मुझे अपने माता-पिता के साथ लगभग हर दिन बातचीत करने के लिए व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी प्रौद्योगिकी को धन्यवाद देना चाहिए.” भारत की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में से एक के तहत चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया. सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के और भी अधिक महत्वाकांक्षी अगले अध्याय की शुरुआत है, जिसमें सूर्य का अध्ययन किया जाएगा और गगनयान कार्यक्रम के तहत एक भारतीय मंच पर भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.”

मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना

उन्होंने कहा, “अब हम मिशन गगनयान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यों वाले चालक दल को 400 किमी की कक्षा में भेजने और फिर भारतीय समुद्री जल में उतारकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है.” विंग कमांडर राकेश शर्मा अब तक अंतरिक्ष में जाने वाले एकमात्र भारतीय हैं. 1984 में, वह भारत-सोवियत संघ के संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे और ‘सैल्युट 7 अंतरिक्ष स्टेशन’ पर आठ दिन बिताए थे.

2006 में वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए

बिष्णुपुर जिले के थांगा निवासी एन चाओबा सिंह और एन याइमाबी देवी के पुत्र सिंह मछली पकड़ने वाले एक साधरण परिवार से हैं. वह आईआईएससी बैंगलोर के पूर्व छात्र हैं. सिंह ने आईआईटी-गुवाहाटी से भौतिकी में स्नातकोत्तर (स्वर्ण पदक विजेता) पूरा किया और डीएम कॉलेज ऑफ साइंस इंफाल से भौतिकी में स्नातक किया. वह 2006 में वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए थे.

Exit mobile version