Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को उतारकर इतिहास रच दिया था. जानें अब क्या है इसरो के लिए चुनौती

By Amitabh Kumar | October 24, 2023 11:46 AM
undefined
Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 9

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो एक के बाद एक इतिहास रच रहा है. इस बीच खबर है कि भारत का चंद्र मिशन यानी चंद्रयान-3, चंद्रमा पर अनिश्चित काल की निष्क्रियता के चरण में पहुंच चुका है. यह मिशन, जिसने 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर लैंडर विक्रम को उतारकर इतिहास रच दिया था, उसपर सबकी नजर अभी भी बनी हुई है. इसे स्लीप मोड पर रखा गया है. हालांकि मिशन ने अपने उद्देश्यों को पूरा कर लिया है, लेकिन यह कभी भी पृथ्वी पर वापसी की यात्रा शुरू नहीं करेगा. यह चंद्रमा के सतह पर ही रहेगा.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 10

खबरों की मानें तो जैसे ही अंतरिक्ष यान इस निष्क्रिय चरण में प्रवेश करता है, उसे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. खासकर चंद्रमा के वातावरण से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना उसे करना पड़ता है. बताया जाता है कि माइक्रोमीटरोइड्स की निरंतर बौछार होना इन खतरों में से एक है जो चंद्रमा की सतह पर लगातार देखने को मिलता है.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 11

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से खबर प्रकाशित की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंडर, विक्रम और उसके रोवर साथी, प्रज्ञान को निष्क्रिय कर दिया गया है. ऐसा करने से वे इन सूक्ष्म उल्कापिंड प्रभावों के प्रति संवेदनशील हो गए हैं, जो स्थिर चंद्र मिशनों के लिए एक आम खतरा है. यह घटना केवल चंद्रयान-3 के लिए नहीं है. इसने पिछले मिशनों को प्रभावित करने का काम किया है, जिसमें अपोलो अंतरिक्ष यान भी शामिल है जो अभी भी चंद्रमा पर मौजूद है.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 12

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मणिपाल सेंटर फॉर नेचुरल साइंसेज के प्रोफेसर और निदेशक डॉ. पी. श्रीकुमार ने स्पष्ट किया कि वायुमंडल और ऑक्सीजन से रहित चंद्रमा का वातावरण, संक्षारण के खतरे को समाप्त करता है. हालांकि, माइक्रोमीटरॉइड प्रभाव को अंतरिक्ष यान कितना सह कर सकता है ये देखने वाली बात है. यही नहीं चांद पर लंबी रातों के दौरान अत्यधिक ठंड में इसकी फ्लेक्सिबिलिटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर भविष्य में पता चलेगा.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 13

इसके अलावा, चंद्रमा की धूल एक दिलचस्प चुनौती पेश करती नजर आती है. दरअसल, चंद्रमा की धूल, हवा की अनुपस्थिति के कारण पृथ्वी की धूल से भिन्न होती है. यह सतह पर चिपक जाती है. ऐसा अपोलो मिशन के दौरान देखने को मिला था, जिसमें अंतरिक्ष यान को चंद्रमा धूल की समस्या का सामना करना पड़ा था.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 14

चंद्रयान-3 की बात करें तो इसको मुख्य रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की जानकारी एकत्रित करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था, जो पानी के बर्फ के संभावित भंडार के लिए प्रसिद्ध है. यह क्षेत्र ऑक्सीजन, ईंधन और पानी के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है. मिशन में एक रोवर को चंद्रमा के भूभाग पर अपनी गतिशीलता प्रदर्शित करने का काम सौंपा गया था, जबकि लैंडर को नरम और सुरक्षित चंद्र टचडाउन करने के लिए इंजीनियर किया गया था.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 15

अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) से लैस प्रज्ञान रोवर, चंद्र सतह के रासायनिक विश्लेषण के बारे में जानकारी एकत्रित कर रहा था. इसके महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर की उपस्थिति थी, जो काफी वैज्ञानिक महत्व की खोज थी. सल्फर के अलावा, रोवर ने एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन सहित कई अन्य तत्वों का पता लगाया.

Chandrayaan-3: क्या करेगा इसरो! चंद्रयान-3 के सामने अब ये है चुनौती 16

इसके अलावा, रोवर ने चंद्रमा के भूकंपों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किए गए विशेष उपकरणों का उपयोग करके चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने में भूमिका निभाई.

Exit mobile version