Chandrayaan-3 Launch Live Streaming: चंद्रयान-3 शुक्रवार, 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च होने के लिए तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मून मिशन (Moon mission) का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (south pole) के निकट उसके हाईलैंड पर एक लैंडर और एक रोवर स्थापित करना और एंड-टू-एंड लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है. लॉन्च व्हीकल मार्क III (LVM3), जिसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III भी कहा जाता है, शुक्रवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:45 बजे चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा. चंद्रयान-3(Chandrayaan 3) में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल है और इसका वजन कुल 3,900 किलोग्राम है. रोवर चंद्रयान-2 के विक्रम रोवर के समान है, लेकिन सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद के लिए इसमें सुधार किए गए हैं. चंद्रयान-3 से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ यह भी जान लें कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग आप ऑनलाइन या घर बैठे अपने मोबाइल पर कैसे देखे सकते हैं.
जो लोग लाइवस्ट्रीम ऑनलाइन देखना चाहते हैं वे इसरो के आधिकारिक यूट्यूब चैनल या दूरदर्शन पर वास्तविक समय में लॉन्च देख सकते हैं. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. LVM3-M4 और चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की वाहन असेंबली पर विद्युत परीक्षण पूरा हो गया है. जो लोग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च व्यू गैलरी से लॉन्च को लाइव देखना चाहते हैं, वे ivg.shar.gov.in/ पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
LVM3-M4/Chandrayaan-3 Mission:
Vehicle electrical tests completed.Citizens are invited to witness the launch from the Launch View Gallery at SDSC-SHAR, Sriharikota, by registering at https://t.co/J9jd8ylRcC
— ISRO (@isro) July 7, 2023
चंद्रयान -3 का उद्देश्य, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और घूमने की क्षमताओं का प्रदर्शन करने के अलावा, इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना और अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई टेक्नोलॉजी का विकास और प्रदर्शन करना है. चंद्रयान -3 लैंडर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह चंद्रमा में एक निर्दिष्ट स्थान पर धीरे से उतर सकता है और रोवर को तैनात कर सकता है, जिसका उद्देश्य चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करना है. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर मॉड्यूल को अंतिम 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में ले जाएगा. इस कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएंगे.
नासा ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल (propulsion module), अलग होने के बाद, चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में रहेगा और काम्यूनिकेशन रिले सेटेलाइट के रूप में कार्य करेगा. लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अपने स्वयं के वैज्ञानिक पेलोड ले जाएंगे. नासा के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल एक बॉक्स जैसी संरचना है और इसे एक तरफ एक बड़े सोलर पैनल और टॉप पर एक बड़े सिलेंडर के साथ लगाया जाएगा. सिलेंडर, जिसे इंटरमॉड्यूल एडाप्टर कोन कहा जाता है, लैंडर के लिए माउंटिंग स्ट्रक्चर के रूप में कार्य करेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल के निचले भाग में, मुख्य थ्रस्टर नोजल स्थित है.
बॉक्स के आकार के लैंडर में चार लैंडिंग लेग, चार लैंडिंग थ्रस्टर, सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए कई सेंसर और खतरों से बचने और स्थिति संबंधी ज्ञान रखने के लिए कैमरों का एक सेट है. लैंडर एक एक्स बैंड एंटीना से भी लैस है जो कम्यूनिकेशन सुनिश्चित करेगा. रोवर रेक्टेंगल शेप का है और इसमें छह व्हील और एक नेविगेशन कैमरा है.
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