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Chandrayaan-3 Mission: चंद्रमा की सतह के नजदीक पहुंचा ‘चंद्रयान-3’, इतिहास रचने से अब केवल 177 KM बाकी

‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. इसके बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया. आज की गई प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 150 किमी x 177 किमी रह गई है.

भारत का महत्वाकांक्षी तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ सोमवार को कक्षा में नीचे लाए जाने की एक और सफल प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही चंद्रमा की सतह के और नजदीक पहुंच गया. बेंगलुरु में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की निकटवर्ती कक्षा में पहुंच गया है.

‘चंद्रयान-3’ इतिहास रचने से केवल 177 किमी बाकी

‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. इसके बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया. इसरो ने ट्वीट किया, चंद्रयान को चंद्रमा की सतह के नजदीक लाने की प्रक्रिया शुरू. आज की गई प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 150 किमी x 177 किमी रह गई है. उसने बताया कि अगली प्रक्रिया को 16 अगस्त को सुबह करीब साढ़े आठ बजे अंजाम दिए जाने की योजना है. इसरो ने अभियान के आगे बढ़ने पर चंद्रयान-3 की कक्षा धीरे-धीरे घटानी शुरू की तथा उसे चंद्र ध्रुव के समीप लाने की प्रक्रियाओं को अंजाम दिया.

23 अगस्त को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद

इसरो के सूत्रों के अनुसार, अंतरिक्ष यान को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त ‘लैंडिंग मॉड्यूल’ आगे की प्रक्रिया के तहत ‘प्रॅपल्शन मॉड्यूल’ से अलग हो जाएगा. इसके बाद, लैंडर के ‘डीबूस्ट’ (धीमे होने की प्रक्रिया) से गुजरने और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है.

चंद्रयान – 3 क्या है

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है. इसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं. प्रणोदन मॉड्यूल 100 किमी चंद्र कक्षा तक लैंडर और रोवर को ले जाएगा.

चंद्रयान-3 ने ली चंद्रमा की पहली तस्वीर

गौरतलब है कि चंद्रमा के करीब पहुंचने के बाद चंद्रयान- 3 ने पिछले दिनों उसकी पहली तस्वीर ली थी. चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के एक दिन बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 9 अगस्त को चांद का ‘चंद्रयान-3 द्वारा देखा गया एक वीडियो जारी किया था. अंतरिक्ष एजेंसी ने वीडियो को कैप्शन के साथ जारी किया था, चंद्रयान -3 मिशन : चंद्रमा, जैसा कि चंद्रयान -3 द्वारा चंद्र कक्षा में प्रवेश के दौरान देखा गया. वीडियो में दिख रहा है कि चंद्रमा पर नीले हरे रंग के कई गड्ढे हैं. यह वीडियो रविवार देर रात होने वाली दूसरी बड़ी गतिविधि से कुछ घंटे पहले जारी किया गया.

सॉफ्ट लैंडिंग’ इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा

भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगी. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा और यह ऐसा कीर्तिमान स्थापित करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा.

लैंडर का चंद्र सतह पर उतरने का समय काफी मायने रखता है

‘स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ’ (शेप) नामक उपकरण निकट-अवरक्त तरंगदैर्ध्य रेंज में अध्ययन करेगा, जिसका उपयोग सौर मंडल से परे एक्सो-ग्रहों पर जीवन की खोज में किया जा सकता है. लैंडर का चंद्र सतह पर उतरने का समय काफी मायने रखता है क्योंकि इससे उपकरणों के अध्ययन करने की अवधि का निर्णय होता है. चंद्रयान-3 अपने लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर उतारेगा जहां इसके रात होने से पहले एक चंद्र दिवस (धरती के 14 दिन के बराबर) तक रहने की उम्मीद है. चंद्रमा पर रात का तापमान शून्य से 232 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है.

अंतरिक्ष यान के जीवन को कैसे बढ़ाया जाएगा

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि तापमान में भारी गिरावट आती है और प्रणाली के रात के उन 15 दिनों तक बरकरार रहने की संभावना को देखना होगा. यदि यह उन 15 दिनों तक बरकरार रहती है और नए दिन की सुबह होने पर बैटरी चार्ज हो जाती है, तो यह संभवतः अंतरिक्ष यान के जीवन को बढ़ा सकता है. इसरो प्रमुख के अनुसार, 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की योजना बनायी गयी है. यदि ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्ववर्ती सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल होने के साथ ही ऐसा कीर्तिमान रचने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा. चंद्रयान-2 ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफल नहीं रहा था, इसलिए चंद्रयान-3 और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जिसकी सफलता के लिए पूरा देश प्रतीक्षा और प्रार्थना कर रहा है.

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