Chandrayaan-3 का अभियान पूरा, रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम भेजे गये स्लीप मोड में, सूर्योदय का इंतजार

चंद्रयान-3 मिशन के रोवर 'प्रज्ञान' पर लगे एक अन्य उपकरण ने एक अलग तकनीक का उपयोग करके चंद्र क्षेत्र में गंधक (सल्फर) की मौजूदगी की पुष्टि की. ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एपीएक्सएस) नामक उपकरण ने चंद्रमा पर गंधक के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है.

By ArbindKumar Mishra | September 3, 2023 6:38 AM
an image

चंद्रयान-3 का अभियान लगभग पूरा हो चुका है. इसरो ने ताजा अपडेट जो दिया है, उसके अनुसार रोवर प्रज्ञान ने अपना कार्य पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया है. रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम को स्लीप मोड में सेट कर दिया गया है. मालूम हो चंद्रमा में 14 दिन, दिन और 14 दिन रात होता है. रात में चंद्रमा का तापमान माइनस 250 डिग्री से भी कम हो जाता है.

APXS और LIBS पेलोड बंद

इसरो ने ट्वीट कर बताया कि चंद्रयान-3 मिशन में रोवर ने अपना कार्य पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क किया गया है और स्लीप मोड में सेट किया गया है. APXS और LIBS पेलोड बंद हैं. इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर प्रेषित किया जाता है. फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है. सौर पैनल 22 सितंबर, 2023 को अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए Oriented है. रिसीवर चालू रखा गया है. इसरो को उम्मीद है कि अगले सूर्योदय के दौरान भी रोवर अपना काम कर पाएगा. अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह हमेशा भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा.

रोवर ‘प्रज्ञान’ पर लगे उपकरण ने भी चंद्र क्षेत्र में गंधक होने की पुष्टि की: इसरो

चंद्रयान-3 मिशन के रोवर ‘प्रज्ञान’ पर लगे एक अन्य उपकरण ने एक अलग तकनीक का उपयोग करके चंद्र क्षेत्र में गंधक (सल्फर) की मौजूदगी की पुष्टि की. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एपीएक्सएस) नामक उपकरण ने चंद्रमा पर गंधक के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है. पोस्ट में कहा गया, चंद्रयान-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को क्षेत्र में गंधक (एस) के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए विवश करती है: आंतरिक?, ज्वालामुखीय?, उल्कापिंड?,……? इसरो ने सुरक्षित रास्ते की तलाश में घूमते रोवर का एक वीडियो भी जारी किया. इस घूर्णन प्रक्रिया का वीडियो लैंडर इमेजर कैमरे ने बनाया.

Also Read: Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन में शामिल वैज्ञानिकों की शैक्षणिक योग्यता क्या है, जानें?

इसरो ने वीडियो जारी किया और रोवर की खोज के बारे में जानकारी दी

अंतरिक्ष एजेंसी ने एक वीडियो जारी किया जिसमें 18 सेमी लंबे एपीएक्सएस को घुमाते हुए एक स्वचालित तंत्र दिखता है, जो डिटेक्टर हेड को चंद्र सतह के करीब पांच सेंटीमीटर की दूरी पर संरेखित करता है. छब्बीस किलोग्राम वजनी, छह पहियों वाला, सौर ऊर्जा से संचालित ‘प्रज्ञान’ रोवर अपने वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके यह पता लगाने का काम कर रहा था कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानें किस चीज से बनी हैं. इसरो ने एक बयान में कहा कि एपीएक्सएस उपकरण चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहीय पिंडों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के वास्तविक विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त हैं. इसमें रेडियोधर्मी स्रोत होते हैं जो सतह के नमूने पर अल्फा कण और एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं. नमूने में मौजूद परमाणु बदले में मौजूद तत्वों के अनुरूप विशिष्ट एक्स-रे रेखाएं उत्सर्जित करते हैं. इन विशिष्ट एक्स-रे की ऊर्जा और तीव्रता को मापकर, अनुसंधानकर्ता मौजूद तत्वों और उनकी प्रचुरता का पता लगा सकते हैं.

रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर इन तत्वों की भी खोज की

एपीएक्सएस के अवलोकनों ने एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और लौह जैसे प्रमुख अपेक्षित तत्वों के अलावा, गंधक समेत दिलचस्प छोटे तत्वों की मौजूदगी की खोज की है. रोवर पर लगा ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) उपकरण पहले ही गंधक की मौजूदगी की पुष्टि कर चुका है. इन अवलोकनों का विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है.

Exit mobile version