भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को बताया कि चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से घूमने की प्रक्रिया के बाद चंद्रमा की ओर रवाना करने के घंटों बाद भी यान सामान्य तरीके से काम कर रहा है. अंतिरक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया को मंगलवार तड़के सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.
अगले चार दिनों में चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा
एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष केंद्र से वैज्ञानिकों द्वारा किए गए यान को अगली कक्षा में धकेलने को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. यह प्रक्रिया तब पूरी गई जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी (पेरिजी) के सबसे करीब था. इस प्रक्रिया के तहत अंतरिक्ष यान को एक ‘ट्रांसलूनर कक्षा’ में डाल दिया जिसमें यह चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करेगा है. अब से लगभग चार दिनों में एक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया के तहत अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसरो ने बताया कि चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराने की प्रक्रिया तब शुरू करेगी जब वह उसके सबसे नजदीक होगा.
चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के आसपास अपनी कक्षाओं का चक्कर पूरा कर लिया
इसरो ने कहा, चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के आसपास अपनी कक्षाओं का चक्कर पूरा कर लिया है और अब वह चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. अगला कदम चंद्रमा है. उसके चंद्रमा के करीब पहुंचने के बीच पांच अगस्त 2023 को लूनर-ऑर्बिट इंसर्शन (चंद्र-कक्षा अंतर्वेश) की प्रक्रिया को अंजाम देने की योजना है. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को ट्रांसलूनर-इंजेक्शन (टीएलआई) के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल गया और अब वह उस पथ पर अग्रसर है, जो उसे चंद्रमा के करीब ले जाएगा.
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Chandrayaan-3 Mission:
Chandrayaan-3 completes its orbits around the Earth and heads towards the Moon.A successful perigee-firing performed at ISTRAC, ISRO has injected the spacecraft into the translunar orbit.
Next stop: the Moon 🌖
As it arrives at the moon, the… pic.twitter.com/myofWitqdi
— ISRO (@isro) July 31, 2023
23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग
इसरो ने कहा है कि वह आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा. इससे पहले, चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था.
क्या है चंद्रयान – 3 का मुख्य उद्देश्य
इसरो के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया और यह चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा. एलवीएम3-एम4 रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है जिसे वैज्ञानिक ‘फैट बॉय’ या ‘बाहुबली’ कहते हैं.
‘सॉफ्ट लैंडिंग’ इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा
भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगी. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा और यह ऐसा कीर्तिमान स्थापित करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा.