23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

किस साल लॉन्च होगा चंद्रयान-4? इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी में ISRO, एस सोमनाथ ने बताया

चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब इसरो एक नए मिशन पर जुट गया है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान उस मिशन की जानकारी दी है. इस मिशन के तहत इसरो चार साल में चांद से नमूना वापस लाने की तैयारी में है. साथ ही इस बार इसरो इंसान को चांद पर भेजेगा. जानें कैसे?

Chandrayaan-4 : चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब इसरो एक नए मिशन पर जुट गया है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान उस मिशन की जानकारी दी है. इस मिशन के तहत इसरो चार साल में चांद से नमूना वापस लाने की तैयारी में है. इस मिशन के लिए चंद्रयान -4 लॉन्च करने की इसरो के द्वारा तैयारी की जा रही है. ये तमाम जानकारी एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष एजेंसी के विजन 2047 पर विस्तार से बताया. साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया है कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च किया जाएगा. यह भारत का नियोजित अंतरिक्ष स्टेशन होगा जो रोबोट की मदद से प्रयोग करने में सक्षम होगा.

PM Modi ने चांद पर आदमी भेजने को कहा था!

एस सोमनाथ ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में एक व्याख्यान के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले अंतरिक्ष एजेंसी से 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर एक आदमी भेजने का आह्वान किया था. हालांकि, फिलहाल यह मिशन अभी दूर नजर आ सकता है लेकिन, लगातार प्रयास किया जा रहा है कि मानव अंतरिक्ष उड़ान बनाया जा सके जिसे संभवतः अगले तीन से चार महीनों में लॉन्च किया जाएगा.

कैसे काम करेगा अंतरिक्ष?

जानकारी सामने आ रही है कि SPADEX प्रयोग खुद डॉकिंग क्षमता प्रदर्शित करेगा. बता दें कि डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जहां दो अंतरिक्ष यान एक सटीक कक्षा में संरेखित होते हैं और एक साथ जुड़ जाते हैं. इसी तरह की तकनीक चंद्रयान-4 में लगाने की योजना बनाई जा रही है. मिशन के बारे में बताते हुए, इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, “दो उपग्रह जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लॉन्च किए जाएंगे, वे अलग हो जाएंगे, कुछ किलोमीटर की यात्रा करेंगे, और फिर वापस आएंगे और जुड़ेंगे.”

Also Read: चंद्रयान 3 के रॉकेट LVM 3 m4 क्रायोनिक का हिस्सा 5 महीने बाद लौटा वापस, जानें कहां गिरा
विकसित करनी होगी तकनीक

बता दें कि चूंकि रूस के पीछे हटने के बाद भी भारत ने चंद्रयान -2 और चंद्रयान -3 मिशन पर लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक विकसित किया, तो उसी पर सोमनाथ ने कहा कि नमूना-वापसी मिशन के लिए “हमने लैंडिंग के लिए जो विकसित किया है, उससे कहीं अधिक तकनीक की आवश्यकता है. ऐसे में यह साफ हो रहा है कि फिलहाल जो तकनीक इसरो के पास है उसे और बढ़ाने के बाद ही यह मिशन संभव है.

क्या-क्या भेजेंगे ?

एस सोमनाथ ने यह भी कहा कि नमूने इकट्ठा करने के लिए रोबोटिक आर्म, चंद्रमा की कक्षा और पृथ्वी की कक्षा में डॉकिंग के लिए तंत्र, नमूनों का स्थानांतरण, बिना जलाए वायुमंडल में पुनः प्रवेश जैसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर काम चल रहा है, जिसे गगनयान मिशन (अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाएगा) द्वारा भी प्रदर्शित किया जाएगा.

कब हो सकता है रॉकेट लॉन्च?

उन्होंने कहा, 2028 में पहला मॉड्यूल मौजूदा रॉकेटों के साथ लॉन्च किया जा सकता है, पूरे अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए एक भारी लॉन्च वाहन की आवश्यकता होगी. सोमनाथ ने कहा कि इसरो नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (एनजीवीएल) डिजाइन करने पर काम कर रहा है, जिसकी क्षमता 16 से 25 टन को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने की होगी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और इन देशों के बीच एक साझा इंटरफ़ेस बनाने के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ चर्चा कर रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें