होम आइसोलेशन के नियमों में हुआ बदलाव, कोरोना के हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए ये है नयी गाइडलाइंस
नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी जा रही है. अस्पताल के बाहर भी कई मरीज दम तोड़ते देखे गये हैं. सरकार शुरू से ही कोरोना संक्रमण के हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों को घरों में आइसोलेशन (Home Isolation Guidelines) में रहने की सलाह दे रही है. सरकार का दावा है कि ऐसे मरीज डॉक्टरी सलाह पर घरों में ही दवाई से ठीक हो सकते हैं. 2 जुलाई 2020 को सरकार ने इसके लिए कुछ गाइडलाइंस तैयार किये थे. इसमें अब संशोधन किया गया है.
नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी जा रही है. अस्पताल के बाहर भी कई मरीज दम तोड़ते देखे गये हैं. सरकार शुरू से ही कोरोना संक्रमण के हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों को घरों में आइसोलेशन (Home Isolation Guidelines) में रहने की सलाह दे रही है. सरकार का दावा है कि ऐसे मरीज डॉक्टरी सलाह पर घरों में ही दवाई से ठीक हो सकते हैं. 2 जुलाई 2020 को सरकार ने इसके लिए कुछ गाइडलाइंस तैयार किये थे. इसमें अब संशोधन किया गया है.
नये गाइडलाइंस के अनुसार जिन मरीजों में कोरोना के हल्के लक्षण हो या फिर कोई लक्षण नहीं हो वे होम आइसोलेशन में रह सकते हैं. घर में उनके लिए एक अलग से कमरा होना चाहिए. कमरा हवादार होना चाहिए. मरीज की देखभाल के लिए एक व्यक्ति 24X7 उपलब्ध रहना चाहिए. मरीज हर समय डॉक्टर के संपर्क में रहे. स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करनी चाहिए.
कौन रह सकते हैं होम आइसोलेशन में
-
जिन कोरोना के मरीजों में हल्के या कम लक्षण पाये जाते हैं.
-
जिनके घर में आइसोलेशन के लिए अलग कमरा हो और परिवार के सदस्य कोरंटिन में रह सकें.
-
जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कमरे की हवा में 94 प्रतिशत से ज्यादा हो.
-
जिन मरीजों को चिकित्सीय जांच के बाद होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गयी हो.
-
60 साल से अधिक उम्र के लोग या गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज को चिकित्सा अधिकारी की अनुमति के बाद.
Also Read: प्लाज्मा थेरेपी के बाद अब रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर भी लग सकती है रोक
मरीज के लिए क्या है निर्देश
-
मरीज खुद को एक अलग कमरे में रखे और परिवार के बाकी सदस्यों से उचित दूरी बनाकर रहे.
-
मरीज के कमरे में हवा का क्रॉस वेंटिलेशन होना चाहिए. खिड़कियां हमेशा खुली रहनी चाहिए.
-
मरीज हर वक्त तीन लेयर वाले सर्जिकल मास्क का उपयोग करे और हर 8 घंटे बाद इसे नष्ट कर देना चाहिए.
-
मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी पीनी चाहिए और शरीर में हाइड्रेशन बनाए रखना चाहिए.
-
मरीज के व्यक्तिगत सामान को परिवार को कोई भी सदस्य इस्तेमाल न करे. कमरे की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें.
मरीज कैसे करे अपनी निगरानी
-
मरीज को हर समय अपने ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहनी चाहिए. इसके लिए बीच वाली अंगुली में ऑक्सीमीटर को लगाकर कुछ समय तक रीडिंग लेने दे. उसके बाद ऑक्सीजन स्तर की जांच करें.
-
इसी प्रकार बुखार होने पर थर्मल गन की मदद से शरीर के तापमान का निरीक्षण करें. शरीर का तापमान यदि 100.4 फारेनहाइट या उससे ज्यादा हो तो इसे बुखार माना जाता है.
-
दिन में तीन से चार बार पैरासिटामोल लेने के बाद भी अगर बुखार न कम होतो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
-
कोरोना की शुरुआती लक्षणों के 10 दिन बाद या फिर अगर पिछले 3 दिन से बुखार न हो तो आइसोलेशन को समाप्त किया जा सकता है.
कब हो जाएं सतर्क
-
जब सांस लेने में तकलीफ हो.
-
ऑक्सीजन लेवल 94 प्रतिशत से कम होने पर.
-
छाती में दर्द या दबाव का लगातार बने रहना.
-
शारीरिक रूप से उठने में अक्षमता या मानसिक भ्रम की स्थिति.
देखभाल कर रहे व्यक्ति के लिए परामर्श
-
देखभाल करने वाले व्यक्ति को हर समय तीन लेयर वाला सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए.
-
इस्तेमाल के दौरान मास्क के आगे वाले हिस्से को नहीं छूना चाहिए.
-
यदि मास्क गंदा या गीला हो जाए तो इसे तुरंत बदल देना चाहिए.
-
इस्तेमाल को बाद मास्क को नष्ट कर देना चाहिए और हाथों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए.
-
अपने चेहरे, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए.
Posted By: Amlesh Nandan.