Chardham Yatra: आज से चारधाम यात्रा शुरू, इतने बजे खुलेंगे गंगोत्री, यमुनोत्री के कपाट

इस साल अभी तक 16 लाख लोगों ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है और सरकार सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक श्रद्धालु की यात्रा सुगम और शत-प्रतिशत सुरक्षित हो. कोविड-19 के कारण दो साल के अंतराल के बाद पिछले साल पूरी तरह से शुरू हुई चारधाम यात्रा में रिकार्ड 47 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए थे.

By ArbindKumar Mishra | April 22, 2023 8:21 AM
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करीब छह महीने के अंतराल के बाद अक्षय तृतीया के पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी. हवन और वैदिक मंत्रोच्चार के बाद शनिवार दोपहर बाद 12:35 पर गंगोत्री के कपाट खुलेंगे जबकि 12:41 पर यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे. दोनों धामों में श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पवित्र यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं के बसों को शुक्रवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल को खुलेंगे

गढ़वाल हिमालय के चारधामों में से दो अन्य धाम, केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल को और बदरीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे. ऋषिकेश में आयोजित ‘ऋषिकेश से चारधाम यात्रा – 2023’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने श्रद्धालुओं का माल्यार्पण कर स्वागत किया और चारों धामों के देवी-देवताओं-बाबा केदार, बदरीविशाल, मां गंगोत्री और मां यमुनोत्री से पिछले साल की तरह इस साल भी यात्रा के धूमधाम एवं कुशलतापूर्वक संपन्न होने की प्रार्थना की.

इस साल करीब 16 लाख लोगों ने यात्रा के लिए कराया पंजीकरण

इस साल अभी तक 16 लाख लोगों ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है और सरकार सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक श्रद्धालु की यात्रा सुगम और शत-प्रतिशत सुरक्षित हो. कोविड-19 के कारण दो साल के अंतराल के बाद पिछले साल पूरी तरह से शुरू हुई चारधाम यात्रा में रिकार्ड 47 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए थे. राज्य सरकार को इस बार यह संख्या और बढने की उम्मीद है.

धामी ने चारधाम श्रद्धालुओं की दैनिक सीमा रखने का निर्णय वापस लिया

चारधाम यात्रा के शुरू होने की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालयी धामों में दर्शनार्थियों की अधिकतम दैनिक संख्या तय करने संबंधी अपना निर्णय वापस ले लिया है. राज्य सरकार ने पहले चारों हिमालयी धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं की अधिकतम दैनिक संख्या निर्धारित करने का फैसला लिया था लेकिन तीर्थ पुरोहित और टूर ऑपरेटर इस निर्णय को वापस लेने का दवाब बना रहे थे.

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