UP में घुसने वाला था कूनो पार्क का ‘घुम्मकड़’ चीता, इस तरह कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाया गया वापस
चीता ओबान को जिस समय पकड़ा गया उस समय वो उत्तर प्रदेश के झांसी की ओर बढ़ रहा था. वो कूनो राष्ट्रीय उद्यान से करीब 150 किलोमीटर दूर पहुंच गया था. इस महीने में यह दूसरी बार है जब ओबान नाम के इस भटके हुए घुमक्कड़ चीते को पकड़कर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वापस लाया गया है.
मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान से हाल ही में भटके चीते को शिवपुरी जिले के करैरा के जंगल से वापस लाकर इस उद्यान में वापस छोड़ दिया गया है. चीते को उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले ही वन विभाग ने पकड़ लिया था. रविवार को वन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस महीने में यह दूसरी बार है जब ओबान नाम के इस भटके हुए घुमक्कड़ चीते को पकड़कर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वापस लाया गया है. ओबान नाम के इस चीते को अब पवन नाम से भी पुकारा जा रहा है.
झांसी की ओर बढ़ रहा था ओबानः श्योपुर वन मंडल अधिकारी प्रकाश कुमार वर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि चीता ओबान शिवपुरी जिले के करैरा की ओर निकल गया था जहां से वह आगे की ओर बढ़ता ही जा रहा था. उन्होंने कहा कि शनिवार शाम को वन विभाग की टीम ने उसे बेहोश किया जिसके बाद उसे कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाकर शनिवार रात को करीब साढ़े नौ बजे छोड़ दिया गया है.
कूनो से 150 किलोमीटर दूर निकल गया था चीताः प्रकाश कुमार ने बताया कि जब इस चीते को पकड़ा गया, उस समय वो उत्तर प्रदेश के झांसी की ओर बढ़ रहा था. उन्होंने कहा कि जिस समय इस चीते को पकड़ा गया, तब वह कूनो राष्ट्रीय उद्यान से करीब 150 किलोमीटर दूर था. यानी यह घुमक्कड़ चीता 150 किलोमीटर की दूरी तय कर चुका था. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले भटके ओबान को शिवपुरी जिले के बैराड़ क्षेत्र के जंगल से सात अप्रैल को पकड़ा गया था और वहां से उसे लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान के पालपुर के जंगल में वापस छोड़ा गया था.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से पांच चीतों को भारत मंगाए थे. पीएम मोदी ने पांच मादा और तीन नर चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बाड़े में छोड़ा था. इनमें से एक ओबान नाम का यह चीता है. कई लोग इसे घुमक्कड़ चीता भी कह रहे हैं.
Also Read: Water Metro: पीएम मोदी 25 अप्रैल को करेंगे देश की पहली वॉटर मेट्रो का उद्घाटन, जानें इसकी खासियत