कूनो नेशनल पार्क से भागी मादा चीता आशा को आखिर रेस्क्यू कर लिया गया. आशा को शिवपुरी-अशोकनगर की सीमा के पास ईसागढ़ से ट्रेंकुलाइज किया और उसे फिर से कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया. मालूम हो आशा 19 मई को पार्क से बाहर निकली थी.
आशा चीता को आखिर क्यों किया गया ट्रैंकुलाइज
चीता संचालन समिति के प्रमुख राजेश गोपाल ने पहले कहा था कि केएनपी में वापस लाने के लिए चीतों को ट्रैंकुलाइज नहीं किया जाएगा. लेकिन आशा को ट्रैंकुलाइज करना पड़ा. इस बारे में उन्होंने बताया कि चीता आशा को ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति दी गई थी क्योंकि प्रोटोकॉल के अनुसार जंगली जानवरों को रिहायशी इलाकों में प्रवेश की अनुमति नहीं है. गोपाल ने कहा, चीतों को केवल वन क्षेत्रों में घूमने की अनुमति है. इसलिए जब चीता आशा पिछले 25 दिनों से माधव राष्ट्रीय उद्यान और चंदेरी के जंगल में घूम रही थी तो वन टीम ने हस्तक्षेप नहीं किया. लेकिन जैसे ही आशा पार्क से करीब 150 किमी दूर अशोक नगर जिले के शहरी क्षेत्र के करीब पहुंची, हमने मानक प्रोटोकॉल का पालन किया और उसे वापस लाने के लिए ट्रैंकुलाइज किया.
19 मई को आशा कुनो नेशनल पार्क से बाहर निकली थी, माधव नेशनल पार्क में बिताये 15 दिन
बताया जा रहा है कि आशा 19 मई को कोर क्षेत्र से बाहर आई और शिवपुरी में घूम रही थी. उसने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में कम से कम 15 दिन बिताए, जहां हाल ही में तीन बाघों को छोड़ा गया था.
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वन अधिकारी ने बताया, कैसे काबू में आयी आशा
कूनो नेशनल पार्क के मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) प्रकाश वर्मा ने बताया, रविवार की सुबह तीन डॉक्टरों और फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा की टीम ईशागढ़ पहुंची. सुबह टीम ने चीता को भगाने का प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे. टीम ने शाम 5 बजे फिर कोशिश की और उसे डार्ट किया. चीता के बेहोश हो जाने पर डॉक्टर और चीता के जानकारों ने उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उसे पिंजरे में डाल दिया. होश आने के बाद आशा को केएनपी के जंगली इलाके में छोड़ दिया गया.
कूनो नेशनल पार्क में मौजूद हैं 8 चीते, 6 और को छोड़ा जाएगा
कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को जंगल में छोड़ दिया गया है जबकि एक शावक सहित 10 चीते बाड़े में मौजूद हैं. आने वाले महीनों में छह और चीतों को छोड़ा जाएगा.
17 सितंबर को पीएम मोदी ने नामीबिया से लाये गये चीते को कूनो में छोड़ा था
गौरतलब है कि पिछले साल 17 सितंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में प्रजातियों की आबादी को पुनर्जीवित करने के प्रयास के तहत नामीबिया से आठ चीतों के पहले बैच को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था.