चंबल के बीहड़ों में 74 साल बाद फिर सुनाई देगी चीतों की दहाड़, कूनो नेशनल पार्क में बनेगा जंगल महल

यह बात दीगर है कि मध्य प्रदेश के जंगलों की जब कभी भी बात की जाती है, तो 'सतपुड़ा के घने जंगल' और दस्यु सुंदरी फूलन देवी के चंबल का बीहड़ अचानक याद आ आते हैं. आज मध्य प्रदेश के इसी चंबल के बीहड़ में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाने का प्रयास किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2021 3:53 PM

भोपाल : मध्य प्रदेश स्थित चंबल के भीषण बीहड़ों जंगलों में 74 साल बाद एक फिर धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले वाले चीते की दहाड़ सुनाई देगी. इस साल के नवंबर में दक्षिण अफ्रीका से स्तनधारी चीतों यहां लाया जाएगा. इन चीतों के लिए श्योपुर जिले के कूनो नेशलन पार्क में एक सुंदर सा जंगल महल बनाया जाएगा.

हालांकि, यह बात दीगर है कि मध्य प्रदेश के जंगलों की जब कभी भी बात की जाती है, तो ‘सतपुड़ा के घने जंगल’ और दस्यु सुंदरी फूलन देवी के चंबल का बीहड़ अचानक याद आ आते हैं. आज मध्य प्रदेश के इसी चंबल के बीहड़ में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाने का प्रयास किया जा रहा है.

1947 में आखिरी बार देखे गए थे धब्बेदार चीते

मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के अनुसार, देश के जंगलों से विलुप्त हो चुके इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाने के लिए करीब 10 साल से चर्चा की जा रही थी. देश में अंतिम धब्बेदार चीता को 1947 में एकीकृत मध्य प्रदेश के कोरिया इलाके में देखा गया था, जो अब छत्तीसगढ़ में आता है. बाद में वर्ष 1952 में इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.

कूनो नेशनल पार्क में रखे जाएंगे 10 चीते

वन मंत्री शाह ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से 10 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया जाएगा. इनमें पांच नर एवं पांच मादा होंगी. हमने इनके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बाड़ा बनाने का काम इस महीने से ही शुरू कर दिया है और अगस्त में बाड़ा बनाने का काम पूरा कर हो जाएगा.’

चंबल के बीहड़ों में 750 वर्ग किलोमीटर में फैला है कूनो नेशनल पार्क

चंबल संभाग में आने वाला कूनो नेशनल पार्क करीब 750 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है और यहां पर चीते को फिर से बसाने के लिए देश के सबसे बेहतरीन जंगल महलों में से एक है. इसमें चीतों के लिए अच्छा शिकार भी मौजूद है, क्योंकि यहां पर चौसिंगा हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं.

केंद्र से मिलेंगे 14 करोड़ रुपये

शाह ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हमें चीतों को फिर से बसाने के लिए इस सप्ताह एक संभावित कार्यक्रम भेजा है. मंत्रालय के अनुसार, इस साल मई से अगस्त के बीच मध्य प्रदेश वन विभाग को कूनो नेशनल पार्क में इनके लिए बाड़ा तैयार करना है और इनको बसाने के लिए इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 14 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी. उन्होंने कहा कि 14 करोड़ रुपये के इस अनुमानित बजट को भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा मध्य प्रदेश एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान को जून में दिया जाएगा.

चीते को दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए एक टीम को मिलेगी ट्रेनिंग

शाह ने बताया कि इसके अलावा, मंत्रालय की ओर से दिए गए कार्यक्रम में कहा गया है कि भारत से मध्य प्रदेश वन विभाग और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान के दलों को जून-जुलाई में इन चीतों के बारे में विस्तृत रूप से जानने एवं प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा. बाद में इन चीतों को पकड़कर पिंजरों में रखकर अक्टूबर-नवंबर में अंतरराष्ट्रीय परिवहन के जरिये भारत भेजा जाएगा तथा ये चीते नवंबर में भारत में पहुंचेंगे.

दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने के लिए 2009 में बनी थी योजना

अफ्रीका के चीतों को भारत में लाए जाने की योजना वर्ष 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान बनाई जा रही थी. तब जयराम रमेश केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और उन्होंने इसकी पहल की थी, लेकिन लगभग एक दशक बाद यह योजना बन पाई.

26 अप्रैल को चीता विशेषज्ञ ने कूनो पार्क का किया दौरा

एक वन्य अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के चीतों के विशेषज्ञ विन्सेंट वैन डेर मेरवे 26 अप्रैल को कूनो नेशनल पार्क में भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ दौरा किए और इस उद्यान का निरीक्षण किया कि वहां पर चीतों को बसाए जाने के लिए कैसा पर्यावास है. बाद में उन्होंने इन चीतों को यहां बसाने की अनुमति दे दी और अब चीतों को यहां लाने की अंतिम प्रक्रिया चल रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में दी थी इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में अफ्रीकी चीते को प्रायोगिक तौर पर भारत में सबसे अधिक उपयुक्त जगह पर लाने की इजाजत दी थी और देश में चीतों को फिर से बसाने की योजना के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को मार्गदर्शन देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति ने भारतीय वन्यजीव संस्थान को देश में चीतों को फिर से बसाने के लिए सभी संभावित ठिकानों का सर्वेक्षण कर जायजा लेने को कहा था, जिसके बाद इस संस्थान के दल ने मध्य प्रदेश के इन चार स्थानों का दौरा किया था.

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Posted by : Vishwat Sen

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