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Cheetah in India: कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को लेकर जानिए क्या है विशेषज्ञ की चिंता

Cheetah in India: कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से ये विदेशी चीते कितना सामंजस्य बिठा पाएंगे और उनका भविष्य क्या होगा.

By Samir Kumar | September 18, 2022 10:08 PM

Cheetah in India: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते आ गए हैं. ये चीते जल्द ही भारत की धरती पर दौड़ते नजर आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क पहुंचकर छोड़ा है. वहीं, अब इन चीतों को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है. दरअसल, देश में 70 साल बाद बिल्ली परिवार के इस सदस्य के आने के साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से ये विदेशी चीते कितना सामंजस्य बिठा पाएंगे और उनका भविष्य क्या होगा.

जानिए चीतों को किनसे है खतरा

इस मुद्दे पर भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों में से एक वाल्मीक थापर ने एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में सवाल करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में बड़ी बिल्ली कैसे चलेंगे, शिकार करेंगे. इन्हें क्या खिलाया जाएगा और ये अपने शावकों को कैसे पालेंगे. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र लकड़बग्घे और तेंदुओं से भरा हुआ है, जो चीते के प्रमुख दुश्मन हैं. उन्होंने कहा कि यदि आप अफ्रीका में देखें, तो लकड़बग्घे चीतों का पीछा करते हैं और यहां तक कि उन्हें मार भी देते हैं. आसपास 150 गांव हैं, जहां ऐसे कुत्ते हैं जो चीतों को फाड़ सकते हैं. यह बहुत ही कोमल जानवर है.

चीतों के भागने पर सवाल

यह पूछे जाने पर कि पृथ्वी पर सबसे तेज स्तनपायी चीता, अपने हमलावरों से आगे क्यों नहीं निकल सका, उन्होंने इलाके में अंतर का हवाला देते हुए कहा कि तंजानिया में राष्ट्रीय उद्यान जैसी जगहों पर, चीते भाग सकते हैं, क्योंकि घास के मैदानों का बड़ा विस्तार है. कुनो में जब तक आप वुडलैंड को घास के मैदान में परिवर्तित नहीं करते हैं, यह एक समस्या है. पथरीली जमीन पर जल्दी से कोनों को मोड़ने में चीतों के लिए एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या सरकार वुडलैंड को घास के मैदान में बदल सकती है? क्या कानून इसकी अनुमति देता है. थापर ने कुनो में बाघ को चीते के लिए एक और संभावित खतरे के रूप में सूचीबद्ध करते हुए कहा कि कभी-कभी बाघ भी रणथंभौर से यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि शेरों को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है. ऐसा अक्सर नहीं होता है, लेकिन हमें उस गलियारे को भी घेरना होगा.

चीतें क्या खाएंगे?

थापर ने शिकार खोजने में आने वाली समस्याओं को भी सूचीबद्ध किया. उन्होंने कहा कि सेरेन्गेटी में लगभग 10 लाख से अधिक गजेल उपलब्ध हैं. कुनो में जब तक कि हम काले हिरण या चिंकारा, जो घास के मैदान में रहते हैं को प्रजनन और नहीं लाते हैं, चीतों को चित्तीदार हिरण का शिकार करना होगा, जो कि वन जानवर हैं. इन हिरणों में बड़े सींग भी होते हैं और चीते को घायल कर सकते हैं. यह उनके लिए ज्यादा घातक है. उन्होंने कहा कि हमें पहले से ही चिंकारा और ब्लैकबक्स पैदा करने की जरूरत थी. फिर भी हम इतिहास बनाना चाहते हैं. मुझे यकीन नहीं है कि हम इस स्तर पर ऐसा क्यों कर रहे हैं. स्वदेशी प्रजातियों के साथ बहुत सारी समस्याएं हैं. उन्होंने कहा कि चीता लंबे समय से शाही पालतू रहा है और उसने कभी किसी इंसान को नहीं मारा. इसका कोमल और नाजुक होना एक बड़ी चुनौती है.

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