कूनो नेशनल पार्क में अब 24 घंटे होगी चीतों की निगरानी, शिवराज सरकार ने इस कारण लिया फैसला
हाल के दिनों में जिस तरह कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत हुई है, उससे वन विभाग की चिंता बढ़ गई है. जिसके बाद अब वन विभाग चीतों को लेकर विशेष सावधानी बरत रहा है. कूनो में अब चार दलों की टीम चौबीसों घंटे चीतों की निगरानी करेगी.
हाल के दिनों में कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के बाद अब प्रशासन अलर्ट हो गया है. प्रशासन चीतों की निगरानी बढ़ा रहा है. साथ ही वहीं रह रहे चीतों की सुरक्षा में भी इजाफा किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब चौबीसों घंटे चीतों की निगरानी की जाएगी. बताया जा रहा है कि कि इसके लिए कूनो नेशनल पार्क में कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. गौरतलब है कि बीते दिनों नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक ज्वाला चीता के दो और शावकों की मौत हो गई थी.
24 घंटे होगी चीतों की निगरानी
हाल के दिनों में जिस तरह कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत हुई है, उससे वन विभाग की चिंता बढ़ गई है. जिसके बाद अब वन विभाग चीतों को लेकर विशेष सावधानी बरत रहा है. कूनो में अब चार दलों की टीम चौबीसों घंटे चीतों की निगरानी करेगी. बता दें, पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कुनो छोड़ा गया था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को कूनो लाया गया था.
आठ महीनों में चीन शावकों समेत तीन व्यस्क चीतों की मौत
गौरतलब है कि कूनो नेशनल पार्क में बीते 8 महीनों 6 चीतों की मौत हु चुकी है. मरने वालों चीतो में 3 व्यस्क चीते और तीन शावक चीते शामिल है. बता दें आठ महीने पहले इन चीतों को कूनो लाया गया था. गौरतलब है कि प्रोजेक्ट चीता के तहत 8 अफ्रीकी चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया था. वहीं, कई जानकारों का कहना है कि कूनो में जगह कम पड़ने के कारण चीतों की मौत हो रही है.
आपसी लड़ाई में गई थी दक्षा चीता की मौत
बता दें, बीते महीने मई में दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की कूनो नेशनल पार्क में मौत हो गई थी. दक्षा तीसरी व्यस्क चीचा थी जिसकी कूनो में मौत हुई थी. हालांकि दक्षा चीता की मौत किसी बीमारी से नहीं हुई थी. बताया गया है कि उसकी मौत आपसी लड़ाई में घायल होने के बाद हुई थी. जबकि, इससे पहले बीमारी के कारण दो चीतों साशा और उदय की मौत हुई थी. बता दें, साशा और उदय नामक चीतों को सितंबर 2022 में अलग-अलग जत्थों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी लाया गया था.