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राजनांदगांव सीट पर बीजेपी जीत की ओर, पार्टी जीती तो, क्या रमन सिंह को फिर मिलेगी छत्तीसगढ़ की बागडोर?

Chhattisgarh Assembly Election Results 2023: 90 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है. अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो क्या आयुर्वेद के डॉक्टर रमन सिंह एक बार फिर छत्तीसगढ़ की बागडोर संभाल सकते हैं या सीएम का कोई नया चेहरा सामने आएगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के रिजल्ट शुरुआती रुझान आ गए हैं. पहले तो कांग्रेस और बीजेपी के बीचे कांटे की टक्कर दिखी. फिर थोड़े ही देर में बीजेपी ने बढ़त बना लगी. ज्यादातर सीटों पर बीजेपी आगे है. राजनांदगांव विधानसभा सीट में बीजेपी उम्मीदवार डॉ रमन सिंह आगे चल रहे हैं. रमन सिंह के सामने कांग्रेस उम्मीदवार गिरीश देवांगन हैं, जो काफी ज्यादा पीछे चल रहे हैं. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, 02.00 बजे तक 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 55 सींटो पर लीट कर रही है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो क्या आयुर्वेद के डॉक्टर रमन सिंह एक बार फिर छत्तीसगढ़ की बागडोर संभाल सकते हैं. बता दें कि डॉ रमन सिंह लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे. जब उन्होंने छत्तीसगढ़ की बागडोर संभाली थी तो प्रदेश की तस्वीर बदलकर रख दी थी. उन्होंने ही नक्सलवाद के खात्मे के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की. अपनी अलग राजधानी बनाई. नवा रायपुर को देखकर हर कोई वाह-वाह कह उठता है. डॉ रमन सिंह को नवा छत्तीसगढ़ का शिल्पकार कहना गलत नहीं होगा.

डॉ रमन सिंह का राजनीतिक करियर

भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के बेहद शालीन और तेज-तर्रार नेता डॉ रमन सिंह का जन्म 15 अक्टूबर, 1952 को रायपुर में हुआ. उनके पिता का नाम विघ्नहरण सिंह ठाकुर और माता का नाम सुधा सिंह है. उनकी पत्नी का नाम वीणा देवी है. इनके दो बच्चे हैं. डॉ रमन सिंह साल 1990 और साल 1993 में मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वर्ष 1999 में डॉ सिंह लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में 13 अक्टूबर 1999 से 29 जनवरी 2003 तक वे मंत्री भी रहे. उन्हें केंद्रीय राज्य वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बनाया गया था. वर्ष 2003 में जब अजीत जोगी की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार पराजित हुई, तो डॉ रमन सिंह को छत्तीसगढ़ की बागडोर सौंपी गई. वर्ष 2004 में वह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद वर्ष 2008 और वर्ष 2013 में भी उनके नेतृत्व में ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनी. 90 के दशक में मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए दो बार निर्वाचित हुए डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ विधानसभा के चार चुनाव जीत चुके हैं. एक बार फिर वे बीजेपी की टिकट पर राजनांदगांव में जीत की ओर हैं.

डॉ रमन सिंह की उपलब्ध‍ियां

अपने कार्यकाल के दौरान डॉ रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में नक्सली संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके लिए उन्होंने ‘सलवा जुडूम’ अभियान चलाया था. डॉ रमन सिंह के काम की तारीफ संयुक्त राष्ट्र ने भी की. विशेष रूप से वित्तीय प्रबंधन पर उन्होंने जो काम किए थे, उसकी काफी तारीफ हुई. देश-दुनिया ने माना कि छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों के बिगड़ते हालात को इन्होंने बखूबी संभाला. डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में ही वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ को अलग-अलग भाषाओं में पर्यटन साहित्य के लिए ‘राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार’ मिला. इतना ही नहीं, उनके कार्यकाल में नि:शक्तों के सशक्तिकरण के लिए वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ को ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ मिला.

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डॉक्टर के रूप में की गरीबों की सेवा

राजनीतिक करियर से दूर हटकर देखें तो एक डॉक्टर के रूप में रमन सिंह ने हमेशा गरीबों की सेवा की. वर्ष 1975 में उन्हें बीएएमएस की डिग्री मिली. 23 साल की उम्र में उन्होंने कवर्धा में मेडिकल की प्रैक्टिस शुरू कर दी. डॉ रमन सिंह ने हमेशा गरीबों का मुफ्त में इलाज किया. गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए डॉ रमन सिंह ने ‘भारत माता चिकित्सालय’ का निर्माण भी करवाया है. रमन सिंह ने जनसंघ के यूथ विंग से राजनीति में कदम रखा था. कवर्धा की नगरपालिका, छत्तीसगढ़ विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा में कई अहम पदों पर काम किया. वर्ष 1999 में देश के वाणिज्य राज्यमंत्री बने थे. इस्राइल, नेपाल, फिलीस्तीन और दुबई जैसे देशों में उन्होंने भारतीय व्यापार मेले का नेतृत्व किया. डॉक्टर साहब क्रिकेट और वॉलीबॉल के भी शौकीन हैं. डॉ रमन सिंह कवर्धा के यूथ क्लब के सदस्य भी रहे हैं.

क्या इस बार छत्तीसगढ़ की सत्ता संभालने का मिलेगा मौका?

7 दिसंबर 2003 को डॉ रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. वर्ष 2004 में छत्तीसगढ़ विधानसभा का चुनाव लड़ा और विधायक बने. वर्ष 2008 में उनके नेतृत्व में बीजेपी ने फिर जीत दर्ज की और 12 दिसंबर 2008 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. वर्ष 2013 में भी उनकी अगुवाई में सरकार बनी. यह उनका लगातार तीसरा कार्यकाल था. लेकिन, वर्ष 2018 में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी का सूबे में सूपड़ा ही साफ कर दिया. बीजेपी सिर्फ 15 सीटें जीत पाई, जबकि कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि, एक बार फिर बीजेपी छत्तीसगढ़ में जीत की ओर कदम बढ़ा रही है. अगर पार्टी जीतेगी तो क्या रमन सिंह राज्य की सत्ता संभाल सकते हैं? इसका सटीक जवाब थोड़ा मुश्किल है. चूंकि, जब जेपी नड्डा को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था तब, पार्टी में बड़ा फेरबदल हुआ था. उस समय रमन सिंह समेत छत्तीसगढ़ के तीन बड़े चेहरों को प्रदेश की सत्ता से दूर कर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था, जिनमें रमन सिंह के साथ-साथ सरोज पांडेय और लता उसेंडी भी शामिल थीं. लेकिन जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई और बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, तब उसमें रमन सिंह और लता उसेंडी भी के नाम भी शामिल थे. यह किसी से छिपा नहीं है कि बीजेपी कभी भी कुछ भी कर सकती है. भले ही रमन सिंह अनुभव के मामले में सीएम पद के लिए दावेदारी रखते हों, लेकिन बीजेपी नया चेहरा भी सामने ला सकती है.

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