Chhawla Gang Rape 2012 : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी दिल्ली सरकार, जानें क्या है पूरा मामला

Chhawla Gang Rape 2012; आरोपियों को रिहा करने का फैसला 10 साल के बाद सुनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों मौत की सजा पाये तीन लोगों को रिलीज कर दिया था जिसके बाद ये गैंगरेप और हत्या का मामला फिर चर्चा में आ गया.

By Amitabh Kumar | November 21, 2022 1:41 PM

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों मौत की सजा पाये तीन लोगों को रिलीज कर दिया था. इसके बाद 2012 छावला कैंप गैंगरेप और मर्डर मामले की चर्चा होने लगी है. दिल्ली सरकार ने मामले के ऑर्डर को चैलेंज करने का फैसला लिया है. दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना ने रिलीज को चुनौती देने के लिए हरी झंडी दे दी है. नवंबर महीने की शुरुआत में, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने अभियुक्तों को बरी कर दिया था.

क्या है मामला

आरोपियों को रिहा करने का फैसला 10 साल के बाद सुनाया गया था. आइए आपको मामले के संबंध में बताते हैं. दरअसल, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की रहने वाली एक महिला का दिल्ली में अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद वो हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक खेत में मृत पायी गयी थी. 9 फरवरी, 2012 को वह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में छावला कैंप स्थित अपने घर से करीब 10 मिनट की दूरी पर बस से उतरी थी. जिस महिला के साथ यह वारदात हुई वो गुरुग्राम के साइबर सिटी में एक निजी कंपनी के साथ काम करती थी. वह अपने दो दोस्तों के साथ घर जा रही थी, उसी वक्त उसे एक कार में कुछ लोगों द्वारा अगवा कर लिया गया.


पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या कहा गया

कुछ दिन के बाद महिला का शव बरामद किया गया था. उसके शरीर पर चोट और जलने के निशान पाये गये थे. शव के पोस्टमार्टम के बाद जो बात सामने आयी, उसमें कहा गया कि कार के औजारों, कांच की बोतलों और नुकीली धातु की वस्तुओं से हमले किये गये थे. रवि और विनोद सहित तीन अभियुक्तों को 19 फरवरी, 2014 को एक अदालत ने दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनायी थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने उसी वर्ष 26 अगस्त को ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.

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