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Chief Justice: भारत के 49वें CJI बने जस्टिस यूयू ललित, जानें शक्तियां, वेतन और सबकुछ

न्यायमूर्ति यूयू ललित का सीजेआई के रूप में तीन महीने से भी कम का संक्षिप्त कार्यकाल होगा और वह इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है. प्रधान न्यायधीश का वेतन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के बाद सबसे ज्यादा है.

देश के 49वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शपथ लिया. यूयू ललित (Uu Lalit) न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिन के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय में मामलों को सूचीबद्ध किए जाने एवं अत्यावश्यक मामलों का उल्लेख किए जाने समेत तीन अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखते हैं. न्यायमूर्ति ललित देश के दूसरे ऐसे प्रधान न्यायाधीश हैं, जो बार से सीधे उच्चतम न्यायालय की पीठ में पदोन्नत हुए.


74 दिनों का होगा कार्यकाल

न्यायमूर्ति ललित का सीजेआई के रूप में तीन महीने से भी कम का संक्षिप्त कार्यकाल होगा और वह इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है. पूर्व सीजेआई एन वी रमण को विदाई देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति ललित ने कहा था, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को यथासंभव सरल, स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.

इन मामलों में ले सकते है फैसला

सीजेआई के रूप में न्यायमूर्ति ललित के कार्यकाल में संविधान पीठ के मामलों समेत कई अहम मामले शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है. शीर्ष अदालत ने हाल ही में अधिसूचित किया था कि 29 अगस्त से पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ वाले 25 मामलों पर सुनवाई शुरू की जाएगी. पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आने वाले महत्वपूर्ण मामलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने वाले संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली, व्हाट्सऐप निजता नीति को चुनौती देने वाली याचिका, सदन में भाषण या वोट देने के लिए रिश्वत लेने को लेकर आपराधिक अभियोजन से छूट का दावा करने वाले सांसदों या विधायकों का मामला शामिल है.

2014 को SC के बने न्यायाधीश

न्यायमूर्ति ललित को 13 अगस्त, 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. तब वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे. वह मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3 : 2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. इन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे.

राम जन्मभूमि-बाबरी भूमि विवाद से खुद को किया अलग

उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई से खुद को जनवरी 2019 में अलग कर लिया था. मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील के रूप में एक संबंधित मामले में वर्ष 1997 में पेश हुए थे. हाल ही में, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह साढ़े नौ बजे बैठी थी.

जानें सीजेआई को मिलने वाले वेतन

प्रधान न्यायाधीश को प्रतिमाह 2.80 लाख रुपये वेतन मिलता है. इसके अलावा प्रतिमाह सरकार भत्ते के रूप में 50 हजार के करीब रुपये देती है. बता दें कि देश के राष्ट्रपति, उपराषट्र्पति और राज्यपाल के बाद प्रधान न्यायधीश को सबसे ज्यादा वेतन मिलता है.

(इनपुट- भाषा)

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