केजरीवाल की चिंता बढ़ी, दिल्ली पर मंडराने लगा धुंध का खतरा, केंद्रीय मंत्री से मांगेंगे मदद
नयी दिल्ली : पंजाब सहित दिल्ली से सटे अन्य राज्य के किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है. ऐसे में दिल्ली पर फिर से धुंध का खतरा मंडराने लगा है. बता दें कि नवंबर से लेकर फरवरी तक आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली के ऊपर प्रदूषण का एक स्तर चढ़ जाता है. इससे अरविंद केजरीवाल की परेशानी बढ़ गयी है. हालांकि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को मामले से अवगत कराने की बात कही है.
नयी दिल्ली : पंजाब सहित दिल्ली से सटे अन्य राज्य के किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है. ऐसे में दिल्ली पर फिर से धुंध का खतरा मंडराने लगा है. बता दें कि नवंबर से लेकर फरवरी तक आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली के ऊपर प्रदूषण का एक स्तर चढ़ जाता है. इससे अरविंद केजरीवाल की परेशानी बढ़ गयी है. हालांकि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को मामले से अवगत कराने की बात कही है.
मुख्यमंत्री केजरीवाल, प्रकाश जावडेकर से आग्रह करेंगे कि किसानों की पराली को डीकंपोज करने के लिए पूसा में तैयार की गयी मशीन उपलब्ध कराई जाए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वह केंद्रीय कृषि मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से अनुरोध करेंगे कि वे पड़ोसी राज्यों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए पूसा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित कम लागत वाली प्रौद्योगिकी को लागू करने का निर्देश दें.
मुख्यमंत्री केजरीवाल पूसा गये थे और इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं एक या दो दिन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करूंगा और उनसे पड़ोसी राज्यों को इस तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध करूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘अब इस वर्ष ज्यादा वक्त नहीं बचा है…… अगले वर्ष हम बेहतर योजना बनायेंगे. दिल्ली में हम इसे बेहतर से बेहतर तरीके से अमल में लायेंगे.’
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पंजाब के किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है. अमृतसर में किसान अपने खेतों में पराली जला रहे हैं. एक किसान, रणजीत सिंह गिल ने एएनआई से कहा, “हम असहाय हैं. सरकार हमारे बारे में नहीं सोच रही है. उन्हें हर ब्लॉक में 2-3 मशीनें देनी चाहिए ताकि हमें ऐसा करने की जरूरत न पड़े.”
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दिल्ली-NCR के लोग इस बार सर्दियों में पॉल्यूशन से परेशान नहीं होंगे. इसके लिए दिल्ली सरकार ने खास योजना तैयार की है. सरकार किसानों को ऐसी तकनीक देगी जिससे पराली खेत में ही खाद का काम करेगी. इसमें दिल्ली के पूसा संस्थान की नई तकनीक मदद करेगी.
क्या है पूसा डीकंपोजर, जिसकी मांग कर रहे हैं केजरीवाल
एआरएआई (PUSA) की नयी तकनीक पूसा डीकंपोजर (PUSA Decomposer) कहलाती है. पहले कैप्सूल को मिलाकर लिक्विड तैयार किया जाता है. फिर 8-10 दिनों में इसका खेतों में छिड़काव किया जाता है. एक कैप्सूल से तैयार लिक्विड एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त होती है. एक कैप्सूल की लागत केवल 20 रुपये है और प्रभावी रूप से प्रति एकड़ 4-5 टन कच्चे भूसे को खत्म किया जा सकता है.
ऐसा प्रस्ताव किया गया है कि पराली पर केमिकल के छिड़काव में जो भी खर्चा आयेगा, वह सरकार उठायेगी. इससे किसानों पर कोई बोझ भी नहीं पड़ेगा और पराली की समस्या का हल भी हो जाएगा. इस विधि के अपनाने से दिल्ली और एनसीआर को प्रदूषण से भी निजात मिल जायेगी. पराली को खेत में ही डीकंपोज करने से किसानों के जमीन की पैदावार भी बढ़ती है.
वायु प्रदूषण के बढ़ने से कोविड-19 की स्थिति खराब हो सकती है
चिकित्सकों और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का चरम स्तर शहर में कोविड-19 की स्थिति को बिगाड़ सकता है और सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है. शहर की भौगोलिक स्थिति, प्रतिकूल मौसम, पराली का जलाया जाना और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों समेत कई कारणों से हर साल सर्दी के मौसम में दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक स्तर पर चला जाता है.
Posted By: Amlesh Nandan