Child Marriage: देश में बाल विवाह अभी भी एक बड़ी समस्या है. देश को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए बुधवार को एक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता को देखते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान चलाने का निर्णय लिया गया गया है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के कारण समाज में लड़कियों के प्रति सोच में व्यापक बदलाव आया है. ऐसे में देश को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए बुधवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी इस कार्यक्रम का आगाज करेंगी. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत देश को बाल विवाह से मुक्त कराने के लिए शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता को लड़कियों के बीच बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा.
सरकार का मानना है कि लड़कियों को सशक्त बनाकर ही विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. सरकार के प्रयासों के कारण शिशु मृत्यु दर, लैंगिक दर की असमानता में व्यापक कमी आयी है. साथ ही सरकार की कोशिशों के कारण हाल के वर्षों में लड़कियों का नामांकन दर प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के लिए बढ़ा है. लेकिन इन प्रयासों के बावजूद बाल विवाह एक बड़ी चुनौती बना हुआ है और यह मानवाधिकार हनन का सबसे बड़ा कारण है.
विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में होगा मददगार
सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद हर पांच में एक लड़की 18 साल से पहले विवाह के बंधन में बंध रही है. समय से पहले विवाह के कारण लड़कियों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. बाल विवाह के कारण लड़कियों को गरीबी का भी सामना करना पड़ता है. देश को वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सरकार देश को बाल विवाह मुक्त बनाना चाहती है. महिलाओं के योगदान के बिना विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. हर क्षेत्र में महिलाओं की समान और उचित भागीदारी के बिना देश विकसित नहीं हो सकता है.
ऐसे में सरकार देश को पूरी तरह बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए व्यापक अभियान चलाने का फैसला लिया है. सरकार की कोशिश इस अभियान को 25 करोड़ लोगों तक पहुंचाने की है. इस कार्यक्रम के दौरान चाइल्ड मैरिज फ्री भारत पोर्टल भी शुरू किया गया है. इस पोर्टल पर आम लोग बाल विवाह संबंधी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. कार्यक्रम में देश के विभिन्न जिलों के बाल विवाह रोकथाम अधिकारी, सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ता के अलावा राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी मौजूद रहेंगे.