Children Safety: बच्चों खासकर विकलांग बच्चों के उत्थान और सुरक्षा जरूरी है. विकलांग बच्चों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बच्चों की सुरक्षा करना सिर्फ एक विचार नहीं हम सबका कर्तव्य है. बाल संरक्षण पर नौवें राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने यह बात कही. देश में एक तिहाई आबादी बच्चों की है और उनका कल्याण और सुरक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है.
देश के हर बच्चों के लिए सुरक्षित और आगे बढ़ने का मौका मुहैया कराने का काम कर रही है. विकलांग बच्चों के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का बजट में आवंटन बढ़ाया गया है. बाल संरक्षण के लिए बजट आवंटन वर्ष 2009-10 में लगभग 60 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर लगभग 1500 करोड़ हो गया है. इस कार्यक्रम का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जुवेनाइल कमेटी और यूनिसेफ ने मिलकर किया.
सभी को मिलकर बच्चों के अधिकार की करनी होगी रक्षा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा, जहां हर बच्चा चाहे वह विकलांग ही क्यों ना हो अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सके. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक न्याय प्रणाली दिव्यांग बच्चों की कमजोरियों को समझे और उन पर उचित कार्रवाई करे. सुप्रीम कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की चेयरमैन न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने विकलांग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि इसे हासिल करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा.
यूनिसेफ की भारत प्रमुख मैक्राफ्रे ने कहा कि हमारा संगठन बच्चों के अधिकार और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. कार्यक्रम के दौरान विकलांग बच्चों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और उनकी सफलता को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री दिखायी गयी. साथ ही विकलांगता को लेकर एक हैंडबुक को जारी किया गया.