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सरकारी स्कूलों में अब ऑनलाइन क्लास में नहीं बैठ सकेंगे बच्चे? बजट में मोदी सरकार ने नहीं दिए पैसे, तो पार्लियामेंट्री कमेटी ने उठाए सवाल

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड के लिए धन आवंटित नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए संसद की एक समिति ने कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर डिजिटल माध्यम से शिक्षा प्रदान करना बच्चों की जरूरत है.

नई दिल्ली : देश में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हो गई है. इस बीच, चिंता में डालने वाली बात यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले भारत के लाखों नौनिहाल इस महामारी के दौरान ऑनलाइन आयोजित होने वाली कक्षाओं में भाग नहीं ले सकेंगे. इसका प्रमुख कारण यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में सरकारी स्कूलों में महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षा आयोजित करने लिए संचालित ऑपरेशन डिजिटल ब्लैबोर्ड के लिए धन का आवंटन नहीं किया है, जिसे लेकर संसद की एक समिति ने चिंता जाहिर की है.

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड के लिए धन आवंटित नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए संसद की एक समिति ने कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर डिजिटल माध्यम से शिक्षा प्रदान करना बच्चों की जरूरत है. ऐसे में सरकार डिजिटल कार्यक्रमों के लिए अधिक धन आवंटित करने की संभावनाओं का पता लगाना चाहिए.

संसदीय समिति ने शिक्षा की अनुदान मांगों पर उठाए सवाल

संसद में पिछले दिनों पेश स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अनुदान की मांगों संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से कहा है कि वह ई-शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजिटल कार्यक्रमों को लेकर अधिक धन आवंटित करने की संभावनाओं का पता लगाए. संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड के लिए वर्ष 2020-21 के 25 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान को घटाकर संशोधित अनुमान एक करोड़ रुपया कर दिया गया. इसका मतलब है कि यह बजटीय अनुमान से लगभग 96 फीसदी कम रहा.

कोरोना महामारी में डिजिटल क्लास पर समिति ने जताई चिंता

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड के लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया है. संसदीय समिति ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर डिजिटल माध्यम से शिक्षा प्रदान करना बच्चों की जरूरत है, ताकि आगे चलकर डिजिटल ऑनलाइन शिक्षा पठन-पाठन एवं सीखने का एक वैकल्पिक तरीका बन जाए.

प्रो झुनझुनवाला की सिफारिश पर तैयार की गई थी योजना

गौरतलब है कि ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड का उल्लेख 2018-19 के बजट में हुआ था. इस विषय पर प्रो झुनझुनवाला के नेतृत्व में समिति गठित की गई थी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई थी. साल 2019 में इस अभियान की शुरुआत की गई. शुरुआत में इसे स्कूल स्तर पर 9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा और बाद में कालेज एवं विश्वविद्यालय स्तर तक विस्तार करने का खाका तैयार किया गया.

क्या है ऑपरेशन डिजिटल ब्लैकबोर्ड

बता दें कि स्कूली स्तर पर 9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा की शिक्षा देने वाले देश में 1.5 लाख स्कूल हैं और इनमें करीब सात लाख कक्षाएं हैं. वहीं, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय स्तर पर दो लाख कक्षाएं हैं. इस प्रकार से कुल नौ लाख कक्षाओं में डिजिटल ब्लैकबोर्ड लगाने की संकल्पना की गई थी.

इन डिजिटल ब्लैकबोर्ड के माध्यम से फिल्म, लेक्चर, ट्यूटोरियल, गेम्स आदि के संयोग से विविध विषयों पर संकल्पनाओं एवं पाठ्यसामग्री को बच्चों को आसान भाषा में समझाने की योजना बनाई गई है. इसमें पाठ्य सामग्री भी होगी और ट्यूटोरियल भी होगा. छात्रों के संवाद के आधार पर शिक्षकों के जवाब भी यहां उपलब्ध होंगे.

Also Read: ब्लैकबोर्ड पर फर्म का नाम लिखे जाने मामले में बीइइओ से स्पष्टीकरण

Posted by : Vishwat Sen

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