नयी दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में वर्ष 1959 में चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया था. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अब उस जगह पर गांव बसा लिया है. हालांकि, भारत ने इससे इनकार किया है.
अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक विवादित क्षेत्र में चीन के एक बड़ा गांव निर्मित करने की पेंटागन की रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद मंगलवार को भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने इस रिपोर्ट को तवज्जो नहीं दी. कहा कि यह भू-भाग करीब 6 दशकों से चीनी सेना के नियंत्रण में है.
उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा एक ऐसे क्षेत्र में गांव बनाया गया है, जिस पर वर्ष 1959 में असम राइफल्स की एक चौकी को उजाड़ने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का कब्जा है. एक सूत्र ने कहा, ‘ऊपरी सुबानसिरी जिले में विवादित सीमा से लगा गांव चीन के नियंत्रण वाले क्षेत्र में है. उन्होंने वर्षों से उस क्षेत्र में अपनी सेना की एक चौकी बरकरार रखी है और चीनियों द्वारा किये गये विभिन्न तरह के निर्माण कार्य बहुत कम समय पहले के नहीं हैं.’
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अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने अपने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में भारत के अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र में 100 घरों वाला आम नागरिकों का एक गांव निर्मित किया है.
सूत्र ने कहा, ‘इस गांव का निर्माण चीन ने उस इलाके में किया है, जिस पर 1959 में पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के सीमांत क्षेत्र में एक अभियान में असम राइफल्स की चौकी पर हमले के बाद कब्जा कर लिया था. इसे लोंगजू घटना के तौर पर जाना जाता है.’
चीन की संलिप्तता वाले सैन्य एवं सुरक्षा घटनाक्रमों पर अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है कि चीन एलएसी पर अपने दावे को लेकर दबाव बनाने के लिए उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ और तरकीबी कार्रवाई जारी रखे हुए है, जबकि वह सीमा पर तनाव घटाने के लिए भारत के साथ राजनयिक व सैन्य स्तर की वार्ता भी कर रहा है.
इसने कहा, ‘वर्ष 2020 में कभी चीन ने अपने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के बीच विवादित भू-भाग पर 100 घरों वाला आम नागरिक का एक बड़ा गांव बनाया.’
पूर्वी थल सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने पिछले महीने कहा था कि नये गांव सीमा के उस ओर चीनी क्षेत्र में कुछ खास भू-भाग पर बनाये गये हैं और भारत ने अपनी अभियानगत रणनीति का संज्ञान लिया है. उल्लेखनीय है कि एलएसी पर दोनों ओर संवदेनशील क्षेत्र में करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.
Posted By: Mithilesh Jha