वाशिंगटन : भारत सरकार द्वारा चीन पर की गयी डिजिटल स्ट्राइक से चीन घबरा गया है. अब चीन हैकर्स की मदद से भारत सरकार की प्रमुख जानकारियां चुराने के फिराक में लगा है. अमेरिका के न्याय विभाग ने पांच चीनी नागरिक पर डाटा और कारोबार की विशेष जानकारियां चुराने का आरोप लगाया है.
चीनी हैकर्स अभी भी यूएस सरकार की पहुंच से बाहर है जबकि दो मलेशिया के नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है.चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की शह पर चीन के बाहर के कंप्यूटर को निशाना बनाया गया और चीन के लिए मददगार बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी सूचनाएं चुरायी गयी.
भारत समेत दुनियाभर में चीन के उन ऐप्स पर पाबंदी लगायी जा रही है जिससे चीन दुनियाभर के नागरिकों की अहम जानकारियां इन ऐप्स की मदद से चुरा रहा है. भारत, पाकिस्तान अमेरिका समेत कई देशों ने चीन के कई ऐप्स पर रोक लगा दी है लेकिन चीन इन हैकर्स की मदद से सीधे सरकारी साइट को निशाना बना रहा है.
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अमेरिकी कोर्ट में चीनी हैकर्स पर लगे आरोप में यह साफ कहा गया है कि इन्होंने भारत सरकार की वेबसाइटों के साथ ही भारत सरकार के सहायक वचुर्अल प्राइवेट नेटवर्क और डाटाबेस सर्वर को भी निशाना बनाया है भारत सरकार के वीपीएन नेटवर्क में सेंधमारी करने के लिए वीपीएस प्रोवाइडर सर्वर का इस्तेमाल करते हुए भारत सरकार के संरक्षित कंप्यूटरों पर ‘कोबाल्ट स्ट्राइक’ मालवेयर को इंस्टाल्ड कर दिया.
भारत के साथ चीन के संबंध और बिगड़ रहे हैं एक तो बोर्डर पर चीन अपनी घटिया हरकत से बाज नहीं आ रहा है दूसरी तरफ सोशल साइट, वेबसाइट, गेम का इस्तेमाल करके भारत की सरकारी वेबसाइट और निजी जानकारियां भी चुराने के फिराक में है. गिरफ्तार किये गये चीनी नागरिकों पर भारत की कई सरकारी वेबसाइट को हैक करने का आरोप है. चीन की इन हैकर्स का साथ देने वाले दो मलेशिया के नागिरकों को भी गिरफ्तार किया गया है.
पांच चीन के नागरिकों में से तीन सिचुआन की एक कंपनी के लिए काम करते थे जो वेबसाइट पर व्यापार करने वाली कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा का दावा करती है. इन्होंने सौ से भी ज्यादा कंपनियों के कंप्यूटर हैक किये जिसमें से कई अहम और जरूरी जानकारियां चुरायी. कई लोगों से इन जानकारियों को बदले पैसे मांग, कई अहम जानकारियों दूसरे हैकर्स से साझा की. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के खेल में भी यह हैकर्स माहिर थे.
इन हैकर्स का चीन के साथ रिश्ता है औऱ यह सारी जानकारी वहां भी भेजी जाती थी. यूएस कोर्ट में दी गयी जानकारी के अनुसार जियांग लिझी जो इन चीनी हैकर्स में शामिल है उसे गर्व है कि साल 2012 में उसे चीनी मंत्रालय के द्वारा संरक्षण प्राप्त था. उसने इस ओर भी इशारा किया है कि अगर वह चीन में हैकिंग नहीं करते तो सरकार उन्हें संरक्षण देती है.
यह भी दावा किया जाता है कि चीनी सरकार ऐसे लोगों को मौका देती है कि वह दुनियाभर से अहम जानकारियां लायें और हैकिंग करें हालांकि कोर्ट में अबतक यह साबित नहीं हुआ है कि यह किसी देश की साजिश के माध्यम से हैकिंग के काम को अंजाम दे रहे थे. इन्होंने अपने बयान मे यह माना है कि चीनी सरकार ने इनकी मदद साल 2018 में मांगी थी जब हॉगकॉम लोकतंत्र का आंदोलन चल रहा था. उस वक्त इन्होंने यह जानकारी सरकार तक पहुंचायी थी कि इस विषय पर यूएस मीडिया क्या लिख रहा है, उसके अल्पसंख्यकों को लेकर क्या विचार है और बौद्ध भिक्षु इस पर क्या सोचते हैं.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak