चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और लगातार वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब गांवों का निर्माण कर रहा है. भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से चीन ने झिंझियाग से भूटान तक की एलएसी में गांवों में सैन्य सुविधा को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है. इसके साथ ही हवाई अड्डों का भी निर्माण कर रहा है.
चीनी राज्य परिषद सूचना कार्यालय ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र पर एक नीति पत्र जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि तिब्बत की 4,000 किमी की सीमा के साथ “मध्यम समृद्धि के गांवों” के निर्माण के लिए चीन ने लगभग एक दशक तक व्यवस्थित रूप से पैसा लगाया है. जिसमें से अधिकांश गांव एलएसी के पास हैं.
नीति पत्र में कहा गया है कि TAR में सभी गांवों तक यातायात सुगम बनाने के लिए 118,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाए गए हैं. 84 फीसदी कस्बों और 76 फीसदी गांवों तक पक्की सड़क बनायी गयी है. जबकि 1951 से तिब्बत: मुक्ति, विकास और समृद्धि नामक नीति पत्र के अनुसार 2020 के अंत तक तिब्बत के सुदूर क्षेत्र के कई सीमावर्ती गांव राजमार्गों से बेहतर ढंग से जुड़े हुए थे, और सभी गांवों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा थी.
Also Read: एयर इंडिया के सर्वर पर साइबर हमला, 45 लाख से ज्यादा पैसेंजर्स की अहम जानकारियां लीक
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी, झिंजियांग से अरुणाचल प्रदेश तक, एलएसी के साथ सीमावर्ती गांवों के निर्माण में तेजी लाने के अभियान पर व्यापक जानकारी जमा की है. इसके मुताबिक इन विवादित क्षेत्रों में बसाने के लिए अन्य जगहों से लोगों को लाया जाता है. जानकारी के मुताबिक कई गांव तो ऐसे हैं जो नियंत्रण रेखा के बिल्कुल करीब हैं.
हिंदूस्तान टाइम्स के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें झिंजियांग और तिब्बत में एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र में बनने वाले ऐसे गांवों के बारे में जानकारी मिली है. पर भूटान की पूर्वी सीमा पर चीन का दबाव चिंताजनक पहलू है. जिसका उद्देश्य भूटान को डोकलाम में अपना क्षेत्र छोड़ना है. बताया जा रहा है कि भूटान पर दबाव चीन के साथ योजनाबद्ध 25वें दौर की सीमा वार्ता को देखते हुए बनाया जा रहा है, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है.
भारत में रहने वाले तिब्बत विशेषज्ञ क्लाउडी अर्पी के मुताबिक जहां पर भारत, भूटान और चीन की सीमाएं मिलती हैं वहां पर कई गांव बसाये गये हैं. उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि अरुणाचल के पास लोंगजू के पास एक नया गांव बसाया गया है, जहां पर भारत और चीन के बीच पहली झड़प 1959 में हुई थी.
Also Read: India China Face Off: चीन पैंगोंग से पीछे हटने को कैसे हुआ मजबूर?, जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी
गेटवे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन के फेलो समीर पाटिल ने कहा कि सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करके चीन को पहले फायदा हुआ पर जब भारत ने सीमा पर बुनियादी ढांचा को मजबूत करना शुरू किया तो चीन को लगा कि अब इससे उसे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. इसलिए अब फिर से वो इस तरह की हरकत कर रहा है. चीन सैन्य शक्ति मजबूत करने के लिए LAC के पास गांव बसया तथा Latest News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें।
Posted By: Pawan Singh