China Pakistan Boundary Agreement 1963 भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि चीन का नया भूमि सीमा कानून हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है. जिसे भारत सरकार ने लगातार बनाए रखा है. दरअसल, भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे वक्त से चल रहे तनाव के बीच चीन की विधायिका ने नया भूमि सीमा कानून पारित कर भारत के खिलाफ एक और बेहद खतरनाक चाल चल दी है.
आगामी 1 जनवरी 2022 से लागू होने वाले इस नए कानून को चीन भले ही अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अहिंसक बता रहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि सीमावर्ती इलाकों में चीन अपनी जमीनी दखल को और पुख्ता तरीके से विस्तार देने जा रहा है. इन निर्जन इलाकों में वह आम नागरिकों को बसाने की तैयारी कर रहा है, ताकि किसी भी अन्य देश खासतौर पर भारत के लिए इन इलाकों में सैन्य कार्रवाई और मुश्किल हो जाए. सीधे तौर पर कहें तो चीन का यह नया भूमि सीमा कानून आने वाले वक्त में भारत की तबाही का एक बड़ा हथियार साबित होगा.
China’s unilateral decision to bring about a legislation which can have implication on our existing bilateral arrangements on border management as well as on the boundary question is of concern to us: MEA on China's new 'Land Boundary Law' pic.twitter.com/LpBE78l3gK
— ANI (@ANI) October 27, 2021
बता दें कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) की स्थायी समिति के सदस्यों ने जिस नए कानून को मंजूरी दी है उसके तहत चीन के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाएगी. आर्थिक, सामाजिक विकास के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्रों और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित किया जाएगा. आम नागरिकों के रहने और काम करने के लिए सीमा सुरक्षा और आर्थिक व सामाजिक सामंजस्य को मजबूत तरीके से खड़ा किया जाएगा. विशेषज्ञ इस बात का संभावना जता रहे हैं कि चीन की विधायिका ने जिस भूमि सीमा कानून को पारित किया है उसका आधार ही भारत-चीन सीमा विवाद है. जिसका वह अपने तरीके से और अपनी शर्तों पर समाधान चाहती है.