नयी दिल्ली : लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद मामला और बिगड़ गया है. चीन गलवान पर अपना फर्जी दावा करता है, जिसे भारत ने हमेशा खारिज किया है. सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी सेना को किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए तैयार रहने को कहा है. चीन के साथ लगती 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रामक बर्ताव का मुंह तोड़ जवाब देने की पूरी आजादी दी गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्च स्तरीय बैठक के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सीमा पर लगातार बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बढ़ने लगे हैं. इस बीच मीडिया में खबर चल रही है कि अगर ऐसी कोई भी स्थिति बनती है तो क्या चीनी सेना भारतीय सेना पर भारी पड़ेगी या भारत ड्रैगन को करारी सिकस्त देने में कामयाब है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीनी आर्मी अब पहले जैसी स्थिति में नहीं रही है. बताया जा रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भीतर ही भीतर कमजोर पड़ गयी है. उसकी ताकत अब पहले जैसी नहीं रही है. बताया जा रहा है कि 35 साल से लागू वन चाइल्ड पॉलिसी और भ्रष्टाचार ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पूरी तरह से खोखला कर दिया है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1979 में जब चीन ने वियतनाम पर हमला किया था, तक वियतनाम ने कथित रूप से 62 हजार से अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराया था और करीब 500 से अधिक बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह कर डाली थी. भ्रष्टाचार ने चीनी आर्मी को खोखला कर दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2012 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता संभालते ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और कमजोर हुई है. सेना में भ्रष्टाचार का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिनपिंग ने हाल ही में सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के दो वाइस चेयरमैन को हटा दिया था. बताया जा रहा है दोनों अधिकारियों में से एक पर घूसलेने का आरोप लगा था.
चीन झूठ फैलाने में हमेशा माहिर रहा है. डोकलाम का मुद्दा हो या फिर गलवान घाटी का, चीन हमेशा भारत के खिलाफ अपनी चालाकी दिखाने की कोशिश की है. हालांकि उसे हर बार भारत ने करारा जवाब दिया है. इस बार भी गलवान घाटी में भारतीय सेना के जवान कम संख्या में थे और चीनी सैनिक बड़ी संख्या में थे, लेकिन नुकसान ड्रैगन को ही अधिक हुआ है. भारतीय जवानों ने बहादूरी के साथ उनका सामना किया और 50 से अधिक चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने चीन से लगती सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमान और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है. गलवान घाटी में हिंसा 45 वर्षों में सीमा पार हिंसा की सबसे बड़ी घटना है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.
भारतीय वायु सेना ने पिछले पांच दिन में लेह और श्रीनगर सहित वायु सेना के अहम अड्डों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं. वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने शनिवार को कहा था कि भारतीय वायु सेना चीन के साथ लगती सीमा पर किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और उपयुक्त जगह पर तैनात है.
उन्होंने यहां तक संकेत दिए थे कि कड़ी तैयारियों के तहत उनके बल ने लद्दाख क्षेत्र में लड़ाकू हवाई गश्त की है. लड़ाकू हवाई गश्त के तहत विशिष्ट मिशनों के लिए सशस्त्र लड़ाकू विमानों को कम समय में रवाना किया जा सकता है.
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई से पूर्वी लद्दाख के गलवान और कई अन्य इलाकों में गतिरोध जारी है. पांच मई को पैंगोग त्सो के तट पर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी. पूर्वी लद्दाख में पांच और छह मई को करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद हालात बिगड़ गए थे.
posted by – arbind kumar mishra