नयी दिल्ली: चीन ने पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में 15 जगहों का अपने हिसाब से नामकरण कर दिया. इस पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हमने उस रिपोर्ट को देखा है, जिसमें चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश की 15 जगहों का नामकरण किया गया है. यह बेहूदा हरकत है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने चीन के समक्ष यह मुद्दा उठाया है. साथ ही उम्मीद जतायी है कि ऐसी बेहूदा हरकतें करने की बजाय लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के वेस्टर्न सेक्टर में जो विवाद हैं, उस पर सकारात्मक कार्रवाई करेगा. चीन दावा कर रहा है कि उसने जिन जगहों का नामकरण किया है, वह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों के नाम बदलने की कोशिश की है. उसने अप्रैल 2017 में भी ऐसा करने की कोशिश की थी. भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा. कुछ जगहों के नाम बदल देने से उसकी भौगोलिक स्थिति नहीं बदल जायेगी.
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चीन ने 15 जगहों के नाम बदलकर दावा किया था कि यह उनके क्षेत्र में आता है. इन जगहों पर चीन की सीमा में दर्शाने की कोशिश की गयी. अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन में जैंगनान कहा जाता है, में स्थित इन जगहों के नाम चीनी, तिब्बती और रोमन अल्फाबेट में लिखे गये हैं.
चीन ने जिन 15 जगहों के नाम बदले हैं, उनमें 8 आवासीय मकान हैं, जबकि 4 पहाड़, दो नदियां और एक माउंटेन पास है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जो 8 आवासीय भवन चीन के इलाके में बताये जा रहे हैं, वे शन्नान के कोना काउंटी स्थित सेंगकेजोंग और दागलुंगजोंग, निंगची के मोडोग काउंटी स्थित मानीगांग, डुडिंग और मिगपियां, निंगची के ही जायू काउंटी स्थित गोलिंग, दांबा और शन्नान के लुंजे काउंटी स्थित मेजाग शामिल हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने चार पहाड़ों के नये नाम वामो री, देउ री, लुंजुब री और कुनमिंगसिंगजे फेंग बताया बताये हैं. दो नदियों के नये नाम सेन्योग्मो हे और दुलेन हे बताया गया है. चीन ने माउंटेन पास का नामकरण से ला बताया है. इसे ड्रैगन ने कोना काउंटी का हिस्सा बताया है.
विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि चीन की ऐसी बेहूदा हरकतों से ये जगह चीन का हिस्सा नहीं हो जायेंगे. चीन को भारत के साथ उन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच विवाद हैं. वेस्टर्न सेक्टर में दोनों देशों के बीच जिन वजहों से तनाव है, उसे दूर करने के लिए उसे काम करना चाहिए.
Posted By: Mithilesh Jha