CID ने आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू से की पूछताछ, राजामहेंद्रवरम जेल के बाहर बढाई गई सुरक्षा
अदालत ने पूछताछ में सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा के तीन पुलिस उपाधीक्षक के साथ छह कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों, एक पेशेवर वीडियोग्राफर और दो आधिकारिक मध्यस्थों को भाग लेने की अनुमति दी है. अदालत ने हर एक घंटे पूछताछ के बाद पांच मिनट का विराम लेने को मंजूरी दी है.
आंध्र प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अधिकारियों ने कौशल विकास निगम घोटाले में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू से शनिवार को केंद्रीय कारागार में पूछताछ शुरू की. नायडू से पूछताछ को लेकर जेल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
दो दिन की सीआईडी रिमांड पर हैं चंद्रबाबू नायडू
विजयवाड़ा में भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) की एक अदालत ने शुक्रवार को अधिक पूछताछ के लिए 73 वर्षीय नायडू को दो दिन की सीआईडी की हिरासत में भेज दिया था. नायडू से दोनों दिन (23 और 24 सितंबर) सुबह साढ़े नौ बजे से शाम पांच बजे तक पूछताछ की अनुमति दी गयी है.
नायडू से पूछताछ के दौरान मौजूद रहेंगे पेशेवर वीडियोग्राफर
अदालत ने पूछताछ में सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा के तीन पुलिस उपाधीक्षक के साथ छह कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों, एक पेशेवर वीडियोग्राफर और दो आधिकारिक मध्यस्थों को भाग लेने की अनुमति दी है. अदालत ने हर एक घंटे पूछताछ के बाद पांच मिनट का विराम लेने और पूछताछ के दौरान चंद्रबाबू नायडू के साथ वकीलों के एक दल के भी उपस्थित रहने को मंजूरी दी है. अदालत ने सीआईडी को नायडू की हिरासत के दौरान एक उचित दूरी से उनके वकील को भी मौजूद रहने देने का निर्देश दिया.
स्वास्थ्य और उम्र को देखते हुए जेल में नायडू से की जा रही पूछताछ
पूर्व मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य और उम्र पर विचार करते हुए उनसे जेल परिसर में ही पूछताछ करने की अनुमति दी है ताकि वे राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार से मंगलागिरि में सीआईडी कार्यालय जाने तक की 200 किलोमीटर की यात्रा से बच सकें.
रविवार को शाम पांच बजे वर्चुअल रूप से कोर्ट में पेश होंगे नायडू
पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद अदालत ने सीआईडी को रविवार शाम पांच बजे से पहले नायडू को वर्चुअल माध्यम से अदालत में पेश करने का निर्देश दिया. नायडू को कौशल विकास निगम में कथित अनियमितताओं के आरोप में नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. ऐसा आरोप है कि इन अनियमितताओं से राजकोष को 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.