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Civil Services Exam: सपने को हकीकत में बदलने का गलत कारोबार कर रहे हैं कोचिंग संस्थान

Civil Services Exam: हर साल सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए हजारों छात्र दिल्ली के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में दाखिला लेते हैं. इन सपनों को पूरा करने के लिए संस्थानों की ओर से कई तरह के आकर्षक विज्ञापन के अलावा सोशल मीडिया पर पोस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. कोचिंग संस्थान छात्रों से फीस के तौर पर लाखों रुपये की वसूली करते हैं, लेकिन आपदा के दौरान ऐसे संस्थानों की भूमिका सवालों में आ जाती है.

Civil Services Exam: में सफल होने का सपना लेकर हजारों छात्र देश के कई राज्यों से दिल्ली का रुख करते हैं. दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग संस्थान है. लेकिन कुछ कोचिंग संस्थान ने ऐसी पहचान बनायी है कि छात्र पहले से तय कर ऐसे संस्थान में ही दाखिला लेने आते हैं. सिविल सेवा की तैयारी कराने वाले संस्थानों में राव आईएएस एकेडमी अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा. करीब सात दशक पहले एक छोटे कमरे से राव आईएएस एकेडमी की शुरुआत हुई और कुछ छात्रों की सफलता के साथ संस्थान का ग्राफ तेजी से बढ़ता गया. समय के साथ राव आईएएस एकेडमी काफी बढ़ा हो गया. हालांकि इस दौरान अन्य कई संस्थानों ने भी आईएएस कोचिंग में खुद को स्थापित करने में कामयाब रहे. पब्लिसिटी की राह पकड़कर ऐसे संस्थानों की कमाई करोड़ों में पहुंच गई. देश के छोटे-छोटे शहरों के हजारों छात्र आईएएस और आईपीएस बनने का सपना लेकर इन संस्थानों में दाखिला लेते हैं. संस्थानों लाखों की फीस देने के अलावा छात्रों को रहने, खाने पर भी लाखों रुपये खर्च करना होता है. कई छात्रों के अभिभावक कर्ज लेकर अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं. कोचिंग संस्थान सोशल मीडिया का भी जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. कई शिक्षकों के यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स हैं. हर जगह छात्रों के जीवन के साथ हो रहा है खिलवाड़कोचिंग संस्थान में ही छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं हो रहा है. बल्कि जिन जगहों पर छात्र रहते हैं, वहां भी कई तरह की समस्याएं हैं. आईएएस की तैयारी कर रहे राजेंद्र यादव कहते हैं कि कोचिंग संस्थान के अलावा छात्र जिन जगहों पर रहते हैं, वहां भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. कोचिंग के लिए राजेंद्र नगर, पटेल नगर इलाकों में एक कमरे के लिए 8-10 हजार रुपये महीने का किराया देना होता है. कमरे छोटे होते हैं और इनमें सूर्य के रोशनी की कोई गुंजाइश नहीं होती है. सीढ़ियां काफी संकरी होने के साथ ही गलियां भी काफी छोटी होती है. लेकिन सपने को हकीकत में बदलने में लिए छात्र इन तमाम समस्याओं से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. हर कदम पर छात्रों को कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है. लेकिन जब सपने बड़े होते हैं तो तमाम तरह की परेशानियां छोटी लगती है.

पब्लिसिटी की बुनियाद पर बड़े हो रहे कोचिंग संस्थान

कोचिंग सेंटर की चकाचौंध के उलट छात्र एक छोटे कमरे में सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. इसमें से कुछ को सफलता हाथ लगती है तो कई को निराश होकर लौटना पड़ता है. लेकिन सफल छात्रों पब्लिसिटी की बुनियाद पर कोचिंग सेंटर का कारोबार बढ़ता और चलता रहता है. इसी पब्लिसिटी के झांसे में आकर छात्र कोचिंग की ओर आकर्षित होते हैं. दाखिले के समय छात्रों को संस्थान की ओर से कई तरह के सपने दिखाये जाते हैं. आधुनिक क्लासरूम, फैकल्टी के बड़े नाम के सहारे कोचिंग संस्थान छात्रों को लुभाने की हर संभव कोशिश करते हैं. साल दर साल कोचिंग संस्थानों का कारोबार इसी तरह चलता रहता है. छात्रों की संख्या के अनुसार सेंटर की संख्या बढ़ती जाती है. सपने को पूरा करने का कारोबार चले, इससे किसी को दिक्कत नहीं है. लेकिन अगर मानवीय भूल के कारण किसी सपने का अंत हो जाए तो यह काफी दुखद है. बीते रविवार को राव कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की मौत इसी मानवीय भूल का नतीजा है. 

पहले की घटना से नहीं सीखा सबक

ऐसा नहीं है कि ऐसी घटना पहली बार हुई है. बीते साल मुखर्जी नगर में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने के कारण अफरा-तफरी मच गई थी. उम्मीद थी कि सरकार हादसे से सबक लेकर ठोस कदम उठाएगी. लेकिन कुछ दिनों की सख्ती के बाद सब कुछ पहले की तरह ही चलने लगा. राव एकेडमी में तीन छात्रों की मौत के बाद कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र के साथ ही अभिभावक भी भविष्य को लेकर परेशान हैं. छात्र अपने गुस्से का इजहार प्रदर्शन कर दिखा रहे हैं. राजेंद्र नगर में प्रदर्शन में शामिल छात्र विशाल का कहना है कि राव कोचिंग सेंटर के पास जलभराव की समस्या पुरानी है. कई बार इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब हादसे के बाद दिखावे की कार्रवाई की जा रही है. स्थानीय प्रशासन और कोचिंग संस्थान की मिलीभगत के कारण तीन छात्रों की असमय मौत से छात्रों के अंदर भय और गुस्सा है. हमारे माता-पिता इस घटना के बाद सदमे में हैं. छात्र मुश्किल हालात में तैयारी करते हैं. लेकिन कोचिंग संस्थान की मनमानी के कारण अगर किसी छात्र की मौत हो जाए तो इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है. यह देश के भविष्य का सवाल है. प्रदर्शन कर रहे विकास कुमार का कहना है कि हादसे के बाद छात्रों की मांग पर विचार करने की बजाय राजनीति हो रही है. हादसे के जिम्मेदार लोगों और कोचिंग प्रबंधकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. ताकि भविष्य में किसी होनहार छात्र के साथ ऐसी घटना नहीं हो. 

संसद में भी उठा मुद्दा

छात्रों की मौत की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक कमेटी गठित की है. कमेटी हादसे के कारणों की जांच करेगी. कमेटी हादसे के कारणों की जांच, जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के साथ उपाय और नीतिगत बदलावों की सिफारिश करेगी. कमेटी रिपोर्ट 30 दिनों में सौंपेगी. लोकसभा और राज्यसभा में यह मामला उठा. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हादसे पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटरों की संस्कृति ‘गैस चैंबर’ जैसी हो गयी है.  कोचिंग सेंटरों पर अखबारों में विज्ञापनों पर होने वाले भारी खर्च की जांच करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर उच्च रिटर्न वाला एक फलता-फूलता उद्योग बन गया है. लोकसभा में भी कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए नियम बनाने की मांग की गयी. लेकिन छात्र तमाम आश्वासन के बाद भी धरना-प्रदर्शन करने पर डटे हुए हैं. हादसे के कई दिन बीत जाने के बावजूद छात्र प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हट रहे हैं. यह प्रदर्शन दिल्ली के कोचिंग हब के नाम से मशहूर तमाम इलाकों में हो रहा है.

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