भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने फेक न्यूज को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. साथ ही उन्होंने मीडिया ट्रायल पर कहा, इससे बनी धारणा अदालतों से पहले ही व्यक्ति को दोषी ठहरा देती है. उन्होंने कहा, मीडिया ट्रायल के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इससे ऐसी धारणा जन्म ले लेती है जो व्यक्ति को अदालतों के फैसले से पहले ही जनता की नजरों में गुनहगार बना देती है.
जिम्मेदार पत्रकारिता सत्य के प्रकाश-स्तंभ की तरह होती है : सीजेआई
सीजेआई चंद्रचूड़ ने 16वें रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह में कहा, जिम्मेदार पत्रकारिता सत्य के प्रकाश-स्तंभ की तरह होती है जो हमें बेहतर कल का रास्ता दिखा सकती है. मीडिया ट्रायल के खतरों पर उन्होंने कहा, हमारी व्यवस्था में एक प्रमुख मुद्दा मीडिया द्वारा ट्रायल का है. कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष होता है जब तक अदालत उसे दोषी नहीं पाती. यह कानूनी प्रक्रिया का अहम पहलू है. उन्होंने कहा, हालांकि, इस तरह के वाकये भी रहे हैं जब मीडिया ने एक विमर्श गढ़ा जिससे व्यक्ति अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने से पहले ही जनता की नजरों में दोषी हो गया. इसका प्रभावित लोगों के जीवन पर और उचित प्रक्रिया पर दीर्घकालिक परिणाम हो सकता है.
पत्रकार रिपोर्टिंग में सटीकता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के मानकों को बनाकर रखें : सीजेआई
जिम्मेदारी पूर्ण पत्रकारिता के संदर्भ में उन्होंने कहा, यह उस इंजन की तरह है जो लोकतंत्र को आगे ले जाती है और जो सत्य, न्याय एवं समानता की खोज पर आधारित होती है. जब हम डिजिटल समय की चुनौतियों से निपट रहे हैं तो यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग में सटीकता, निष्पक्षता एवं जिम्मेदारी के मानकों को बनाकर रखें.
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सीजेआई बोले- सोशल मीडिया कई मायनों में पत्रकारों के लिए बदलाव लाया
सीजेआई ने कहा, भारत में पत्रकारों द्वारा न्यायाधीशों के भाषणों और फैसलों का चुनिंदा तरीके से उद्धरण करना चिंता का विषय है. इस तौर-तरीके में महत्वपूर्ण कानूनी विषयों पर जनता की समझ को विचलित करने की प्रवृत्ति है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सोशल मीडिया कई मायनों में पत्रकारों के लिए बदलाव लाने वाला रहा है और ऑनलाइन मंचों से उन्हें अपने खुद के चैनल शुरू करने के अवसर मिले हैं.